नई दिल्ली: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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परिचय दास [ १९६४ ]. जानल -मानल साहित्यकार . पूर्व सचिव , हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार. पूर्व सचिव, मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार. जन्म- रामपुर काँधी , पोस्ट- देवलास , जिला - मऊ . गवर्नमेंट डिग्री कालेज , मुहम्मदाबाद गोहना , मऊ से हिन्दी, अंग्रेजी व इतिहास में बी. ए. कइलन . गांधी पोस्ट ग्रेजुएट कालेज , मालटारी , आज़मगढ़ से एम . ए. [ हिन्दी ] प्रथम श्रेणी में कइलन . गोरखपुर विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. पूर्व सचिव , हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार. पूर्व सचिव, मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार. भोजपुरी -मैथिली- पत्रिका - '' परिछन '' क सम्पादन तथा हिन्दी साहित्य क पत्रिका : ' 'इंद्रप्रस्थभारती '' क सम्पादन कइलन . आकांक्षा से अधिक सत्वर , चारुता , पृथ्वी से रस ले के , युगपत समीकरण में , एक नया विन्यास , संसद भवन की छत पर खड़ा हो के , कविता चतुर्थी , धूसर कविता अनुपस्थित दिनांक , कविता के मद्धिम आंच में आदि उन कर महत्त्वपूर्ण कविता पुस्तकं हईं . तीस से अधिक पुस्तक . भोजपुरी क समकालीन कविता के नयका मारग तथा भोजपुरी- हिन्दी ललित निबंध आ सृजनात्मक आलोचना क नई भाषा दिहलन . यह समय नई दिल्ली में रहेलन.



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== स्थापत्य ==
== स्थापत्य ==

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टेम्पलेट:भारत के प्रान्त दिल्ली (पंजाबी: ਦਿੱਲੀ, उर्दू: دلی, IPA: [d̪ɪlːiː]) , आस-पास के कुछ जिलों के साथ भारत का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बा। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित बा जो ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के बाद बसा था। इहां केन्द्र सरकार की कई प्रशासन संस्थाएँ हैं। औपचारिक रूप से नई दिल्ली भारत की राजधानी बा।टेम्पलेट:तथ्य १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली भारत का तीसरा सबसे बड़ा महानगर बा। इहां की जनसंख्या लगभग १ करोड ७० लाख बा। इहां बोली जाने वाली मुख्य भाषायें बा: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू, और अंग्रेज़ी। दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व उत्तर भारत में इसके स्थान पर बा। इके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी बा, जिसके किनारे इ बसा बा। इ प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जानेवाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था।[1]

यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास बा। इ भारत का अतिप्राचीन नगर बा। इके इतिहास का प्रारम्भ् सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा होइल बा। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी।[2] इहां कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता रहे। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ नें दिल्ली में ही एक चहारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो१६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही।

१८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला कईल कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ होइल। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित कईल गईल।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन होइल, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन होइल। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के केरण दिल्ली के शहरीकरण तो होइल ही इहां एक मिश्रित संस्कृति नें भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत की एक प्रमुख राजनैतिक, सास्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र बा।

नामकरण

इस नगर के नाम "दिल्ली" कईसे पड़ल एकर कवनो निश्चित संदर्भ नईखे मिलल लेकिन व्यापक रूप से ई मानल गईल बा कि इ एक प्राचीन राजा "ढिल्लु" से सम्बन्धित बा। कुछ इतिहासकारों के इ मानना बा कि इ देहली के एक विकृत रूप बा, जवना के हिन्दुस्तानी में अर्थ होला 'चौखट',जवन कि ए नगर के सम्भवतः सिन्धु-गंगा समभूमि के प्रवेश-द्वार होखे के सूचक बा। एक और अनुमान के अनुसार ए नगर के प्रारम्भिक नाम "ढिलिके" रहल। हिन्दी/प्राकृत "ढीली" भी ए क्षेत्र खातिर प्रयोग कईल जात रहे जो अन्तत।

इतिहास

लाल किला

दिल्ली के प्राचीनतम उल्लेख महाभारत में मिलता बा जहाँ इसके उल्लेख प्राचीन इन्द्रप्रस्थ के के रूप में कईल गईल बा। इन्द्रप्रस्थ पांडवों की राजधानी थी।[3] पुरातात्विक रूप से जो पहले प्रमाण मिले रहे उससे पता चलता बा कि ईसा से दो हजार वर्ष पहले भी दिल्ली तथा उसके आस-पास मानव निवास करते थे।[4] मौर्य-केल (ईसा पूर्व ३००) से इहां एक नगर के विकेस शुरु होइल। चंदरबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर राजा अनंगपाल को दिल्ली के संस्थापक बताया गईल बा। ऐसा माना जाता बा कि उसने ही 'लाल-कोट' के निर्माण करवाया था और लौह-स्तंभ को दिल्ली लाया। दिल्ली में तोमरो के शासनकेल ९००-१२०० इसवीं तक माना जाता बा। 'दिल्ली' या 'दिल्लिके' शब्द के प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुर में प्राप्त शिलालेखों पर पाया गईल। इस शिलालेख के समय ११७० इसवीं निर्धारित कईल गईल।

१२०६ इसवीं के बाद दिल्ली दिल्ली सल्तनत की राजधानी बनी। इसपर खिलज़ी वंश, तुगलक़ वंश, सैयद वंश और लोधी वंश समते कुछ अन्य वंशों ने शासन कईल। ऐसा माना जाता बा कि आज की आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ी और विभिन्न स्थानों पर बसी, जिनके कुछ अवशेष अब भी देखे जा सकत रहे। दिल्ली के तत्कालीन शासकों ने इके स्वरूप में कई बार परिवर्तन कईल। मुगल बादशाह हुमायूँ ने सरहिंद के निकट युद्ध में अफ़गानों को पराजित कईल तथा बिना किसी विरोध के दिल्ली पर अधिकेर कर लिया। हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकेर कर लिया। मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते शाहजहाँ (१६२८-१६५८) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहानाबाद के नाम से पुकेरा गईल। शाहजहानाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता बा। प्राचीनकेल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य कईल रहे तथा समय-समय पर इके नाम में भी परिवर्तन कईल जाता रहा था। पुरानी दिल्ली १६३८ के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था।

१८५७ के सिपाही विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन के हुकुमत में शासन चलने लगा। १८५७ के इस प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के आंदोलन को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया तथा भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के अधीन हो गईल। प्रारंभ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकेता) से शासन संभाला परंतु १९११ में उपनिवेश राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गईल। १९४७ में भारत की आजादी के बाद इसे अधिकेरिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गईल। दिल्ली में कई राजाओं के साम्राज्य के उदय तथा पतन के साक्ष्य आज भी विद्यमान रहे। सच्चे मायने में दिल्ली हमारे देश के भविष्य, भूतकेल एवं वर्तमान परिस्थितियों के मेल-मिश्रण रहे। तोमर शासको मै दिल्ली कि इस्थपना के शेय अनंगपाल को जाता बा।

जलवायु, भूगोल और जनसांख्यिकी

भौगोलिक स्थिति

दिल्ली में यमुना नदी

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 1,484 किमी2 (573 वर्ग मील) में विस्तृत बा, जिसमें से 783 किमी2 (302 वर्ग मील) भाग ग्रामीण, और 700 किमी2 (270 वर्ग मील) भाग शहरी घोषित बा। दिल्ली उत्तर-दक्षिण में अधिकतम 51.9 किमी (32 मील) बा और पूर्व-पश्चिम में अधिकतम चौड़ाई 48.48 किमी (30 मील) बा। दिल्ली के अनुरक्षण हेतु तीन संस्थाएं केर्यरत बा:-

  • दिल्ली नगर निगम:निगम विश्व की सबसे बड़ी नगर पालिका संगठन बा, जो कि अनुमानित १३७.८० लाख नागरिकन (क्षेत्रफल 1,397.3 किमी2 या 540 वर्ग मील) के नागरिक सेवाएं प्रदान करेले। इ क्षेत्रफ़ल के हिसाब से भी मात्र टोक्यो से ही पीछे बा।"[5]. नगर निगम १३९७ वर्ग कि.मी. के क्षेत्र देखती बा।
  • नई दिल्ली नगरपालिके परिषद: (एन डी एम सी) (क्षेत्रफल 42.7 किमी2 या 16 वर्ग मील) नई दिल्ली की नगरपालिके परिषद के नाम बा। इके अधीन आने वाला केर्यक्षेत्र एन डी एम सी क्षेत्र कहल जाला।
  • दिल्ली छावनी बोर्ड: (क्षेत्रफल (43 किमी2 या 17 वर्ग मील)[6] जो दिल्ली के छावनी क्षेत्रों मे दिखेला।

दिल्ली एगो अति-विस्तृत क्षेत्र बा। इ अपने चरम पर उत्तर में सरूप नगर से दक्षिण में रजोकरी तक फैलल बा। पश्चिमतम छोर नजफगढ़ से पूर्व में यमुना नदी तक(तुलनात्मक परंपरागत पूर्वी छोर)। वैसे शाहदरा, भजनपुरा, आदि इके पूर्वतम छोर होखे के साथ ही बड़े बाज़ारों में भी आते रहे। रा.रा.क्षेत्र में उपरोक्त सीमाओं से लागल निकटवर्ती प्रदेशों के नोएडा, गुड़गांव आदि क्षेत्र भी आवेला। दिल्ली की भू-प्रकृति बहुत बदलती हुई बा। इ उत्तर में समतल कृषि मैदानों से लेकर दक्षिण में शुष्क अरावली पर्वत के आरंभ तक बदलती बा। दिल्ली के दक्षिण में बड़ी प्राकृतिक झीलें होइल करती था, जो अब अत्यधिक खनन के केरण सूखाती चली गईं रहे। इनमें से एक बा बड़खल झीलयमुना नदी शहर के पूर्वी क्षेत्रों के अलग करेले। ई क्षेत्र यमुना पार कहाला, वैसे ई नई दिल्ली से बहुत से पुलों द्वारा भली-भांति जुड़ल बा। दिल्ली मेट्रो भी अभी दो पुलों द्वारा नदी के पार करेले।

दिल्ली 28°37′N 77°14′E / 28.61°N 77.23°E / 28.61; 77.23 पर उत्तरी भारत में बसल बा । इ समुद्रतल से ७०० से १००० फीट की ऊँचाई पर हिमालय से १६० किलोमीटर दक्षिण में यमुना नदी के किनारे पर बसल बा। इ उत्तर, पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफं से हरियाणा राज्य तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा घिरल बा। दिल्ली लगभग पूर्णतया गांगेय क्षेत्र में स्थित बा। दिल्ली के भूगोल के दो प्रधान अंग बा यमुना सिंचित समतल एवं दिल्ली रिज (पहाड़ी)। अपेक्षाकृत निचले स्तर पर स्थित मैदानी उपत्यकेकृषि हेतु उत्कृष्ट भूमि उपलब्ध करावेले, हालांकि ई बाढ़ संभावित क्षेत्र ह। ई दिल्ली के पूर्वी मे बा। और पश्चिमी ओर रिज क्षेत्र मे बा। इ के अधिकतम ऊंचाई ३१८ मी.(१०४३ फी.) तक जाले। इ दक्षिण में अरावली पर्वतमाला से आरंभ होकर शहर के पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फइलल बा। दिल्ली की जीवनरेखा यमुना हिन्दू धर्म में अति पवित्र नदियों में से एगो नदी मानल जाला। एगो आउर छोट नदी हिंडन नदी पूर्वी दिल्ली के गाजियाबाद से अलग करेले। दिल्ली सीज़्मिक क्षेत्र-IV में आवे से ई क्षेत्र मेभूकम्पों के संभावना बनल रहेला।[7]

जल संपदा

चित्र:DElhi-Water-Chanel.gif
दिल्ली की जल संरचना

भूमिगत जलभृत लाखों वर्षों से प्राकृतिक रूप से नदियों और बरसाती धाराओं से नवजीवन पाते रहे रहे। भारत में गंगा-यमुना के मैदान ऐसा क्षेत्र बा, जिसमें सबसे उत्तम जल संसाधन मौजूद रहे। इहां अच्छी वर्षा होती बा और हिमालय के ग्लेशियरों से निकलने वाली सदानीरा नदियाँ बहती रहे।दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही बा। इके दक्षिणी पठारी क्षेत्र के ढलाव समतल भाग की ओर बा, जिसमें पहाड़ी श्रृंखलाओं ने प्राकृतिक झीलें बना दी रहे। पहाड़ियों पर के प्राकृतिक वनाच्छादन कई बारहमासी जलधाराओं के उद्गम स्थल होइल करता था।[8]

व्यापारिक केन्द्र के रूप में दिल्ली आज जिस स्थिति में बा; उसके केरण इहां चौड़ी पाट की एक यातायात योग्य नदी यमुना के होना ही बा; जिसमें माल ढुलाई भी की जा सकती थी। ५०० ई. पूर्व में भी निश्चित ही इ एक ऐसी ऐश्वर्यशाली नगरी थी, जेकर संपत्तियों की रक्षा के लिए नगर प्राचीर बनाने की आवश्यकता पड़ी थी। सलीमगढ़ और पुराना किला की खुदाइयों में प्राप्त तथ्यों और पुराना किला से इके इतने प्राचीन नगर होने के प्रमाण मिलते रहे। १००० ई. के बाद से तो इके इतिहास, इके युध्दापदाओं और उनसे बदलने वाले राजवंशों के पर्याप्त विवरण मिलता बा।[8]

भौगोलिक दृष्टि से अरावली की श्रृंखलाओं से घिरे होने के केरण दिल्ली की शहरी बस्तियों को कुछ विशेष उपहार मिले रहे। अरावली श्रृंखला और उसके प्राकृतिक वनों से तीन बारहमासी नदियाँ दिल्ली के मध्य से बहती यमुना में मिलती था। दक्षिण एशियाई भूसंरचनात्मक परिवर्तन से अब यमुना अपने पुराने मार्ग से पूर्व की ओर बीस किलोमीटर हट गईल बा।[9] 3000 ई. पूर्व में ये नदी दिल्ली में वर्तमान 'रिज' के पश्चिम में होकर बहती थी। उसी युग में अरावली की श्रृंखलाओं के दूसरी ओर सरस्वती नदी बहती थी, जो पहले तो पश्चिम की ओर सरकी और बाद में भौगोलिक संरचना में भूमिगत होकर पूर्णत: लुप्त हो गईल।

एक अंग्रेज द्वारा १८०७ में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर बने उपर्युक्त नक्शे में वह जलधाराएं दिखाई गईल रहे, जो दिल्ली की यमुना में मिलती रहे। एक तिलपत की पहाड़ियों में दक्षिण से उत्तर की ओर बहती थी, तो दूसरी हौजखास में अनेक सहायक धाराओं को समेटते हुए पूर्वाभिमुख बहती बारापुला के स्थान पर निजामुद्दीन के ऊपरी यमुना प्रवाह में जाकर मिलती थी। एक तीसरी और इनसे बड़ी धारा जिसे साहिबी नदी (पूर्व नाम रोहिणी) कहते थे। दक्षिण-पश्चिम से निकल कर रिज के उत्तर में यमुना में मिलती थी। ऐसा लगता बा कि विवर्तनिक हलचल के केरण इके बहाव के निचाई वाला भूभाग कुछ ऊंचा हो गईल, जिससे इसके यमुना में गिरना रूक गईल।[8] पिछले मार्ग से इसके ज्यादा पानी नजफगढ़ झील में जाने लगा। कोई ७० वर्ष पहले तक इस झील के आकेर २२० वर्ग किलोमीटर होता था। अंग्रेजों ने साहिबी नदी की गाद निकेलकर तल सफ़ाई करके नाला नजफगढ़ के नाम दिया और इसे यमुना में मिला दिया। यही जलधाराएं और यमुना-दिल्ली में अरावली की श्रृंखलाओं के कटोरे में बसने वाली अनेक बस्तियों और राजधानियों को सदा पर्याप्त जल उपलब्ध कराती आईं रहे।

हिमालय के हिमनदों से निकलने के केरण यमुना सदानीरा रही बा। परंतु अन्य उपरोक्त उपनदियां अब से २०० वर्ष पूर्व तक ही, जब तक कि अरावली की पर्वतमाला प्राकृतिक वन से ढकी रहीं तभी तक बारहमासी रह सकीं। खेद बा कि दिल्ली में वनों के कटान खिलजियों के समय से ही शुरू हो गईल रहे। इस्लाम स्वीकेर न करने वाले स्थानीय विद्रोहियों और लूटपाट करने वाले मेवों के दमन करने के लिए ऐसा कईल गईल रहे। साथ ही बढ़ती शहरी आबादी के भार से भी वन प्रांत सिकुड़ा बा। इ चलते वनांचल में संरक्षित वर्षा जल के अवक्षय होइल।[8]

ब्रिटिश केल मेंअंग्रेजी शासन के दौरान दिल्ली में सड़कों के निर्माण और बाढ़ अवरोधी बांध बनाने से पर्यावरण परिवर्तन के केरण ये जलधाराएं वर्ष में ग्रीष्म के समय सूख जाने लगीं। स्वतंत्रता के बाद के समय में बरसाती नालों, फुटपाथों और गलियों को सीमेंट से पक्का कईल गईल, इससे इन धाराओं को जल पहुंचाने वाले स्वाभाविक मार्ग अवरुद्ध हो गये।[8] ऐसी दशा में, जहां इन्हें रास्ता नहीं मिला, वहाँ वे मानसून में बरसाती नालों की तरह उफनने लगीं। विशद रूप में सीमेंट कंक्रीट के निर्माणों के केरण उन्हें भूमिगत जलभृत्तों या नदी में मिलाने के उपाय नहीं रह गईल बा। आज इन नदियों में नगर के अधिकतर मैला ही गिरता बा।

जलवायु

इंडिया गेट के निकट तड़ित। दिल्ली अपनी अधिकतम वर्षा जुलाई-अगस्त माह में मानसून से पाता बा।

दिल्ली के महाद्वीपीय जलवायु में ग्रीष्म ऋतु एवं शीत ऋतु के तापमान में बहुत अंतर होता बा। ग्रीष्म ऋतु लंबी, अत्यधिक गर्म अप्रैल से मध्य-अक्तूबर तक चलती रहे। इस बीच में मानसून सहित वर्षा ऋतु भी आती बा। ये गर्मी केफ़ी घातक भी हो सकती बा, जिसने भूतकेल में कई जानें ली रहे। मार्च के आरंभ से ही वायु की दिशा में परिवर्तन होने लगता बा। ये उत्तर-पश्चिम से हट कर दक्षिण-पश्चिम दिशा में चलने लगती रहे। ये अपने साथ राजस्थान की गर्म लहर और धूल भी लेती चलती रहे। ये गर्मी के मुख्य अंग रहे। इन्हें ही लू कहते रहे। अप्रैल से जून के महीने अत्यधिक गर्म होते रहे, जिनमें उच्च ऑक्सीकरण क्षमता होती बा। जून के अंत तक नमी में वृद्धि होती बा जो पूर्व मॉनसून वर्षा लाती रहे। इ बाद जुळाई से यहां मॉनसून की हवाएं चलती रहे, जो अच्छी वर्षा लाती रहे। अक्तूबर-नवंबर में शिशिर केल रहता बा, जो हल्की ठंड के संग आनंद दायक होता बा। नवंबर से शीत ऋतु के आरंभ होता बा, जो फरवरी के आरंभ तक चलता बा। शीतकेल में घना कोहरा भी पड़ता बा, एवं शीतलहर चलती बा, जो कि फिर वही तेज गर्मी की भांति घातक होती बा। [10] यहां के तापमान में अत्यधिक अंतर आता बा जो −०.६ °से. (३०.९ °फ़ै.) से लेकर 48 °C (118 °F) तक जाता बा।[11] वार्षिक औसत तापमान २५°से. (७७ °फ़ै.); मासिक औसत तापमान १३°से. से लेकर ३२°से (५६°फ़ै. से लेकर ९०°फ़ै.) तक होता बा।[12] औसत वार्षिक वर्षा लगभग ७१४ मि.मी. (२८.१ इंच) होती बा, जिसमें से अधिकतम मानसून द्वारा जुलाई-अगस्त में होती बा। [3] दिल्ली में मानसून के आगमन की औसत तिथि २९ जून होती बा।[13] टेम्पलेट:दिल्ली मौसम

जनसांख्यिकी

१९०१ में ४ लाख की जनसंख्या के साथ दिल्ली एक छोटा नगर रहे। १९११ में ब्रिटिश भारत की राजधानी बनने के साथ इ के जनसंख्या बढ़ने लगी। भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान से एक बहुत बड़ी संख्या में लोग आकर दिल्ली में बसने लगे। इ प्रवासन विभाजन के बाद भी चलता रहा। वार्षिक ३.८५% की वृद्धि के साथ २००१ में दिल्ली की जनसंख्या १ करोड़ ३८ लाख पहुँच चुकी बा।[14] १९९१ से २००१ के दशक में जनसंख्या की वृद्धि की दर ४७.०२% थी। दिल्ली में जनसख्या के घनत्व प्रति किलोमीटर ९,२९४ व्यक्ति तरहे लिंग अनुपात ८२१ महिलाओं एवं १००० पुरूषों के बा। इहां साक्षरता के प्रतिशत ८१.८२% बा।

नागर प्रशासन

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कुल नौ ज़िलों में बँटा होइल बा। हरेक जिले के एक उपायुक्त नियुक्त बा, और जिले के तीन उपजिले रहे। प्रत्येक उप जिले के एक उप जिलाधीश नियुक्त बा। सभी उपायुक्त मंडलीय अधिकेरी के अधीन होते रहे। दिल्ली के जिला प्रशासन सभी प्रकेर की राज्य एवं केन्द्रीय नीतियों और के प्रवर्तन विभाग होता बा। यही विभिन्न अन्य सरकेरी केर्यकलापों पर आधिकेरिक नियंत्रण रखता बा। निम्न लिखित दिल्ली के जिलों और उपजिलों की सूची बा:-

चित्र:Delhi districts Hindi.svg
दिल्ली के जिले
मध्य दिल्ली जिला

 • दरिया गंज • पहाड़ गंज • करौल बाग

उत्तर दिल्ली जिला

 • सदर बाजार, दिल्ली  • कोतवाली, दिल्ली • सब्जी मंडी

दक्षिण दिल्ली जिला

 • केलकेजी • डिफेन्स केलोनी • हौज खास

पूर्वी दिल्ली जिला

 • गाँधी नगर, दिल्ली • प्रीत विहार • विवेक विहार • वसुंधरा एंक्लेव  • उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला  • सीलमपुर • शाहदरा • सीमा पुरी

दक्षिण पश्चिम दिल्ली जिला

 • वसंत विहार • नजफगढ़ • दिल्ली छावनी

नई दिल्ली जिला

 • कनाट प्लेस • संसद मार्ग • चाणक्य पुरी

उत्तर पश्चिम दिल्ली जिला

 • सरस्वती विहार • नरेला • मॉडल टाउन

पश्चिम दिल्ली जिला

 • पटेल नगर • राजौरी गार्डन • पंजाबी बाग

दर्शनीय स्थल

दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर विश्व में सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर बा। [15]
दिल्ली मेट्रो - २००४

दिल्ली भारत की राजधानी ही नहीं पर्यटन के प्रमुख केंद्र भी बा। राजधानी होने के केरण भारत सरकेर के अनेक केर्यालय, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, केन्द्रीय सचिवालय आदि अनेक आधुनिक स्थापत्य के नमूने तो इहां देखे ही जा सकत रहे; प्राचीन नगर होने के केरण इसके ऐतिहासिक महत्त्व भी बा। पुरातात्विक दृष्टि से पुराना किला, सफदरजंग के मकबरा, जंतर मंतर, क़ुतुब मीनार और लौह स्तंभ जैसे अनेक विश्व प्रसिद्ध निर्माण इहां पर आकर्षण के केंद्र समझे जाते रहे। एक ओर हुमायूँ के मकबरा, लाल किला जैसे विश्व धरोहर मुगल शैली की तरहे पुराना किला, सफदरजंग के मकबरा, लोधी मकबरे परिसर आदि ऐतिहासिक राजसी इमारत इहां बा तो दूसरी ओर निज़ामुद्दीन औलिया की पारलौकिक दरगाह भी। लगभग सभी धर्मों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल इहां रहे जैसे बिरला मंदिर, आद्या केत्यायिनी शक्तिपीठ, बंगला साहब गुरुद्वारा, बहाई मंदिर और जामा मस्जिद देश के शहीदों के स्मारक इंडिया गेट, राजपथ पर इसी शहर में निर्मित कईल गईल बा। भारत के प्रधान मंत्रियों की समाधियाँ रहे, जंतर मंतर बा, लाल किला बा साथ ही अनेक प्रकेर के संग्रहालय और अनेक बाज़ार रहे, जैसे कनॉट प्लेस, चाँदनी चौक और बहुत से रमणीक उद्यान भी रहे, जैसे मुगल उद्यान, गार्डन ऑफ फाइव सेंसिस, तालकटोरा गार्डन, लोदी गार्डन, चिड़ियाघर, आदि, जो दिल्ली घूमने आने वालों के दिल लुभा लेते रहे।

दिल्ली के शिक्षा संस्थान

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली; इस संस्थान को एशियावीक द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चौथे सबसे अच्छे संस्थान के दर्जा दिया गईल।[16]
चित्र:19050881.jpg
जे एन यू प्रशासनिक भवन
संगत रूप से इ भारत के सर्वश्रेष्ठ आयुर्विज्ञान संस्थान बा,[17] अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान आयुर्विज्ञान शोध और चिकित्सा के क्षेत्र में एक वैश्विक संस्थान बा।[18]

दिल्ली भारत में शिक्षा के एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बा। दिल्ली के विकेस के साथ-साथ इहां शिक्षा के भी तेजी से विकेस होइल बा। प्राथमिक शिक्षा तो प्रायः सार्वजनिक बा। एक बहुत बड़े अनुपात में बच्चे माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे रहे। स्त्री शिक्षा के विकेस हर स्तर पर पुरूषों से अधिक होइल बा। इहां की शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थी भारत के सभी भागों से आते रहे। इहां कई सरकेरी एवं निजी शिक्षा संस्थान रहे जो कला , वाणिज्य, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, आयुर्विज्ञान, विधि और प्रबंधन में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात रहे। उच्च शिक्षा के संस्थानों में सबसे महत्त्वपूर्ण दिल्ली विश्वविद्यालय बा जिसके अन्तर्गत कई कॉलेज एवं शोध ससंरहेन रहे। गुरु गोबिन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, टेरी - ऊर्जा और संसाधन संस्थान एवं जामिया मिलिया इस्लामिया उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थान रहे।

संस्कृति

दिल्ली हाट में प्रदर्शित परंपरागत पॉटरी उत्पाद।

दिल्ली की संस्कृति इहां के लम्बे इतिहास और भारत की राजधानी के रूप में ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण प्रभावित रही बा, इ शहर में बने कई महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से विदित बा। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली शहर में लगभग १२०० धरोहर स्थल घोषित किए रहे, जो कि विश्व में किसी भी शहर से कहीं अधिक बा। [19] और इनमें से १७५ स्थल राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित किए रहे। [20] पुराना शहर वह स्थान बा, जहां मुगलों और तुर्क शासकों ने स्थापत्य के कई नमूने खड़े किए, जैसे जामा मस्जिद (भारत की सबसे बड़ी मस्जिद) [21] और लाल किला। दिल्ली में फिल्हाल तीन विश्व धरोहर स्थल रहे – लाल किला, कुतुब मीनार और हुमायुं के मकबरा[22] अन्य स्मारकों में इंडिया गेट, जंतर मंतर (१८वीं सदी की खगोलशास्त्रीय वेधशाला), पुराना किला (१६वीं सदी के किला). बिरला मंदिर, अक्षरधाम मंदिर और कमल मंदिर आधुनिक स्थापत्यकला के उत्कृष्ट उदाहरण रहे। राज घाट में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी तरहे निकट ही अन्य बड़े व्यक्तियों की समाधियां रहे। नई दिल्ली में बहुत से सरकेरी केर्यालय, सरकेरी आवास, तरहे ब्रिटिश केल के अवशेष और इमारतें रहे। कुछ अत्यंत महत्त्वपूर्ण इमारतों में राष्ट्रपति भवन, केन्द्रीय सचिवालय, राजपथ, संसद भवन और विजय चौक आते रहे। सफदरजंग के मकबरा और हुमायुं के मकबरा मुगल बागों के चार बाग शैली के उत्कृष्ट उदाहरण रहे।

दिल्ली के राजधानी नई दिल्ली से जुड़ाव और भूगोलीय निकटता ने इहां की राष्ट्रीय घटनाओं और अवसरों के महत्त्व को कई गुणा बढ़ा दिया बा। इहां कई राष्ट्रीय त्यौहार जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गाँधी जयंती खूब हर्षोल्लास से मनाए जाते रहे। भारत के स्वतंत्रता दिवस पर इहां के प्रधान मंत्री लाल किले से इहां की जनता को संबोधित करते रहे। बहुत से दिल्लीवासी इस दिन को पतंगें उड़ाकर मनाते रहे। इस दिन पतंगों को स्वतंत्रता के प्रतीक माना जाता बा।[23] गणतंत्र दिवस की परेड एक वृहत जुलूस होता बा, जिसमें भारत की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक झांकी के प्रदर्शन होता बा। [24][25]

इहां के धार्मिक त्यौहारों में दीवाली, होली, दशहरा, दुर्गा पूजा, महावीर जयंती, गुरु परब, क्रिसमस, महाशिवरात्रि, ईद उल फितर, बुद्ध जयंती लोहड़ी पोंगल और ओड़म जैसे पर्व रहे। [25] कुतुब फेस्टिवल में संगीतकेरों और नर्तकों के अखिल भारतीय संगम होता बा, जो कुछ रातों को जगमगा देता बा। इ कुतुब मीनार के पार्श्व में आयोजित होता बा। [26] अन्य कई पर्व भी इहां होते रहे: जैसे आम महोत्सव, पतंगबाजी महोत्सव, वसंत पंचमी जो वार्षिक होते रहे। एशिया की सबसे बड़ी ऑटो प्रदर्शनी: ऑटो एक्स्पो [27] दिल्ली में द्विवार्षिक आयोजित होती बा। प्रगति मैदान में वार्षिक पुस्तक मेला आयोजित होता बा। इ विश्व के दूसरा सबसे बड़ा पुस्तक मेला बा, जिसमें विश्व के २३ राष्ट्र भाग लेते रहे।दिल्ली को उसकी उच्च पढ़ाकू क्षमता के केरण कभी कभी विश्व की पुस्तक राजधानी भी कहा जाता बा।[28]

ऑटो एक्स्पो, एशिया के सबसे बड़ा ऑटो प्रदर्शनी अवसर बा। [27] , जो कि प्रगति मैदान में द्विवार्षिक आयोजित होता बा।

पंजाबी और मुगलई खान पान जैसे कबाब और बिरयानी दिल्ली के कई भागों में प्रसिद्ध रहे।[29][30] दिल्ली की अत्यधिक मिश्रित जनसंख्या के केरण भारत के विभिन्न भागों के खानपान की झलक मिलती बा, जैसे राजस्थानी, महाराष्ट्रियन, बंगाली, बादराबादी खाना, और दक्षिण भारतीय खाने के आइटम जैसे इडली, सांभर, दोसा इत्यादि बहुतायत में मिल जाते रहे। इ साथ ही स्थानीय खासियत, जैसे चाट इत्यादि भी खूब मिलती बा, जिसे लोग चटकेरे लगा लगा कर खाते रहे। इनके अलावा इहां महाद्वीपीय खाना जैसे इटैलियन और चाइनीज़ खाना भी बहुतायत में उपलब्ध बा।

इतिहास में दिल्ली उत्तर भारत के एक महत्त्वपूर्ण व्यापार केन्द्र भी रहा बा। पुरानी दिल्ली ने अभी भी अपने गलियों में फैले बाज़ारों और पुरानी मुगल धरोहरों में इन व्यापारिक क्षमताओं के इतिहास छुपा कर रखा बा।[31] पुराने शहर के बाजारों में हर एक प्रकेर के सामान मिलेगा। तेल में डूबे चटपटे आम, नींबू, आदि के अचारों से लेकर मंहगे हीरे जवाहरात, जेवर तक; दुल्हन के अलंकेर, कपड़ों के रहेन, तैयार कपड़े, मसाले, मिठाइयाँ, और क्या नहीं? [31] कई पुरानी हवेलियाँ इस शहर में अभी भी शोभा पा रही रहे, और इतिहास को संजोए शान से खड़ी बा। [32] चांदनी चौक, जो कि इहां के तीन शताब्दियों से भी पुराना बाजार बा, दिल्ली के जेवर, ज़री साड़ियों और मसालों के लिए प्रसिद्ध बा। [33] दिल्ली की प्रसिद्ध कलाओं में से कुछ रहे इहां के ज़रदोज़ी (सोने के तार के केम, जिसे ज़री भी कहा जाता बा) और मीनाकेरी (जिसमें पीतल के बर्तनों इत्यादि पर नक्काशी के बीच रोगन भरा जाता बा। इहां की कलाओं के लिए बाजार रहे प्रगति मैदान, दिल्ली, दिल्ली हाट, हौज खास, दिल्ली- जहां विभिन्न प्रकेर के हस्तशिल्प के और हठकरघों के केर्य के नमूने मिल सकत रहे। समय के साथ साथ दिल्ली ने देश भर की कलाओं को इहां स्थान दिया रहे। इस तरह इहां की कोई खास शैली ना होकर एक अद्भुत मिश्रण हो गईल बा।[34][35]

दिल्ली के निम्न भगिनी शहर रहे:[36]


परिचय दास [ १९६४ ]. जानल -मानल साहित्यकार . पूर्व सचिव , हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार. पूर्व सचिव, मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार. जन्म- रामपुर काँधी , पोस्ट- देवलास , जिला - मऊ . गवर्नमेंट डिग्री कालेज , मुहम्मदाबाद गोहना , मऊ से हिन्दी, अंग्रेजी व इतिहास में बी. ए. कइलन . गांधी पोस्ट ग्रेजुएट कालेज , मालटारी , आज़मगढ़ से एम . ए. [ हिन्दी ] प्रथम श्रेणी में कइलन . गोरखपुर विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. पूर्व सचिव , हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार. पूर्व सचिव, मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार. भोजपुरी -मैथिली- पत्रिका - परिछन क सम्पादन तथा हिन्दी साहित्य क पत्रिका : ' 'इंद्रप्रस्थभारती क सम्पादन कइलन . आकांक्षा से अधिक सत्वर , चारुता , पृथ्वी से रस ले के , युगपत समीकरण में , एक नया विन्यास , संसद भवन की छत पर खड़ा हो के , कविता चतुर्थी , धूसर कविता अनुपस्थित दिनांक , कविता के मद्धिम आंच में आदि उन कर महत्त्वपूर्ण कविता पुस्तकं हईं . तीस से अधिक पुस्तक . भोजपुरी क समकालीन कविता के नयका मारग तथा भोजपुरी- हिन्दी ललित निबंध आ सृजनात्मक आलोचना क नई भाषा दिहलन . यह समय नई दिल्ली में रहेलन.


स्थापत्य

72.5 मी (238 फीट) ऊंची कुतुब मीनार, विश्व की सबसे ऊंची मुक्त-खड़ी मीनार बा।[37]

इस ऐतिहासिक नगर में एक ओर प्राचीन, अतिप्राचीन केल के असंख्य खंडहर मिलते रहे, तो दूसरी ओर अवार्चीन केल के योजनानुसार निर्मित उपनगर भी। इसमें विश्व के किसी भी नवीनतम नगर से होड़ लेने की क्षमता बा। प्राचीनकेल के कितने ही नगर नष्ट हो गए पर दिल्ली अपनी भौगिलिक स्थिति और समयानुसार परिवर्तनशीलता के केरण आज भी समृद्धशाली नगर ही न महानगर बा। भारत सरकेर के संस्कृति मंत्रालय के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली में १२०० इमारतों को ऐतिहासिक महत्त्व के तरहे १७५ को राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्मारक घोषित कईल बा।

१५६० में बना, हुमायुं के मकबरा मुगल मकबरा परिसर के प्रथम उदाहरण बा। [38]

नई दिल्ली में महरौली में गुप्तकेल में निर्मित लौहस्तंभ बा। इ प्रौद्योगिकी के एक अनुठा उदाहरण बा। ईसा की चौथी शताब्दी में जब इसके निर्माण होइल तब से आज तक इस पर जंग न लगा। दिल्ली में इंडो-इस्लामी स्थापत्य के विकेश विशेष रूप से दृष्टगत होता बा। दिल्ली के कुतुब परिसर में सबसे भव्य स्थापत्य कुतुब मिनार बा। इस मिनार को स़ूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार केकी की स्मृति में बनवाया गईल रहे। तुगलक केल में निर्मित गईलसुद्दीन के मकबरा स्थापत्य में एक नई प्रवृत्ति के सूचक बा। इ अष्टभुजाकेर बा। दिल्ली में हुमायूँ के मकबरा मुगल स्थापत्य कला के एक उत्कृष्ट उदाहरण बा। शाहजहाँ के शासनकेल स्थापत्य कला के लिए याद कईल जाता बा।

अर्थ व्यवस्था

मुंबई के बाद दिल्ली भारत के सबसे बड़े व्यापारिक महानगरो में से बा। देश में प्रति व्यक्ति औसत आय की दृष्टि से भी इ देश के सबसे संपन्न नगरो में गिना जाता बा। १९९० के बाद से दिल्ली विदेशी निवशेकों के पसंदीदा स्थान बना बा। हाल में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे पेप्सी, गैप, इत्यादि ने दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों मे अपना मुख्यालय खोला बा। क्रिसमस के दिन वर्ष २००२ में दिल्ली के महानगरी क्षेत्रों में दिल्ली मेट्रो रेल के शुभारम्भ होइल जिसे वर्ष २०२२ में पूरा किये जाने के अनुमान बा।

हवाई यातायात द्वारा दिल्ली इन्दिरा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल से पूरे विश्व से जुड़ा बा।.

यातायात सुविधाएं

चित्र:DTC low-floor bus
दिल्ली परिवहन निगम विश्व की सबसे बड़ी पर्यावरण सहयोगी बस-सेवा प्रदान करता बा।[39]
दिल्ली मेट्रो रेल केर्पोरेशन द्वारा संचालित मेट्रो रेल सेवा औसत ८,३७,००० सवारियां प्रतिदिन ले जाती बा।[40]
इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रायसीना की पहाड़ियाँ में राजपथ। दिल्ली की कुल गाड़ियों के ३०% निजी वाहन रहे. दिल्ली में औसत ९६३ नए वाहन प्रतिदिन पंजीकृत होते रहे।[41]
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन
चित्र:Old-delhi-railway-station.jpg
दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन

दिल्ली के सार्वजनिक यातायात के साधन मुख्यतः बस, ऑटोरिक्शा और मेट्रो रेल सेवा रहे। दिल्ली की मुख्य यातायात आवश्यकता के ६०% बसें पूरा करती रहे।[42] दिल्ली परिवहन निगम द्वारा संचालित सरकेरी बस सेवा दिल्ली की प्रधान बस सेवा बा। दिल्ली परिवहन निगम विश्व की सबसे बड़ी पर्यावरण सहयोगी बस-सेवा प्रदान करता बा।[43] हाल ही में बी आर टी की सेवा अंबेडकर नगर और दिल्ली गेट के बीच आरंभ हुई बा। ऑटो रिक्शा दिल्ली में यातायात के एक प्रभावी माध्यम बा। ये ईंधन के रूप में सी एन जी के प्रयोग करते रहे, व इनके रंग ऊपर पीला व नीचे हरा होता बा। दिल्ली में वातानुकूलित टैक्सी सेवा भी उपलब्ध बा जिनके किराया ७.५० से १५ रु/कि.मी. तक बा।दिल्ली की कुल वाहन संख्या के ३०% निजी वाहन रहे।[42] दिल्ली में १९२२.३२ कि.मी. की लंबाई प्रति १०० कि.मी.², के साथ भारत के सर्वाधिक सड़क घनत्व मिलता बा।[42] दिल्ली भारत के पांच प्रमुख महानगरों से राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा जुड़ा बा। ये राजमार्ग रहे: राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या: १, २, ८, १० और २४। दिल्ली की सड़कों के अनुरक्षण दिल्ली नगर निगम (एम सी डी), दिल्ली छावनी बोर्ड, लोक सेवा आयोग और दिल्ली विकेस प्राधिकरण द्वारा कईल जाता बा। [44] दिल्ली के उच्च जनसंख्या दर और उच्च अर्थ विकेस दर ने दिल्ली पर यातायात की वृहत मांग के दबाव इहां की अवसंरचना पर बनाए रखा बा। २००८ के अनुसार दिल्ली में ५५ लाख वाहन नगर निगम की सीमाओं के अंदर रहे। इस केरण दिल्ली विश्व के सबसे अधिक वाहनों वाला शहर बा। साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ११२ लाख वाहन रहे।[45] सन १९८५ में दिल्ली में प्रत्येक १००० व्यक्ति पर ८५ केरें रहे।[46] दिल्ली के यातायात की मांगों को पूरा करने हेतु दिल्ली और केन्द्र सरकेर ने एक मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम के आरंभ कईल, जिसे दिल्ली मेट्रो कहते रहे। [42] सन १९९८ में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के सभी सार्वजनिक वाहनों को डीज़ल के स्थान पर कंप्रेस्ड नैचुरल गैस के प्रयोग अनिवार्य रूप से करने के आदेश दिया रहे।[47] तब से इहां सभी सार्वजनिक वाहन सी एन जी पर ही चालित रहे।

मेट्रो सेवा

दिल्ली मेट्रो रेल केर्पोरेशन द्वारा संचालित दिल्ली मेट्रो रेल एक मास रैपिड ट्रांज़िट (त्वरित पारगमन) प्रणाली बा, जो कि दिल्ली के कई क्षेत्रों में सेवा प्रदान करती बा। इ के शुरुआत २४ दिसंबर, २००२ को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई। इस परिवहन व्यवस्था की अधिकतम गति ८०किमी/घंटा (५०मील/घंटा) रखी गयी बा और इ हर स्टेशन पर लगभग २० सेकेंड रुकती बा। सभी ट्रेनों के निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी रोटेम (ROTEM) द्वारा कईल गईल बा। दिल्ली की परिवहन व्यवसरहे में मेट्रो रेल एक महत्त्वपूर्ण कड़ी बा। इससे पहले परिवहन के ज़्यादातर बोझ सड़क पर रहे। प्रारंभिक अवस्था में इ के योजना छह मार्गों पर चलने की बा जो दिल्ली के ज्यादातर हिस्से को जोड़ेगी। इसके पहला चरण वर्ष २००६ में पूरा हो चुके बा। दुसरे चरण में दिल्ली के महरौली, बदरपुर बॉर्डर, आनंद विहार, जहांगीरपुरी, मुन्द्का, और इन्दिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अथवा दिल्ली से सटे नोएडा, गुड़गांव, और वैशाली को मेट्रो से जोड़ने के केम जारी बा| परियोजना के तीसरे चरण में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद इत्यादि को भी जोड़ने की योजना बा । इस रेल व्यवस्था के चरण I में मार्ग की कुल लंबाई लगभग ६५.११ किमी बा जिसमे १३ किमी भूमिगत एवं ५२ किलोमीटर एलीवेटेड मार्ग बा। चरण II के अंतर्गत पूरे मार्ग की लंबाई १२८ किमी होगी एवं इसमें ७९ स्टेशन होंगे जो अभी निर्माणाधीन रहे, इस चरण के २०१० तक पूरा करने के लक्ष्य रखा गईल बा।[48][49] चरण III (११२ किमी) एवं IV (१०८.५ किमी) लंबाई की बनाये जाने के प्रस्ताव बा जिसे क्रमश: २०१५ एवं २०२० तक पूरा किये जाने की योजना बा। इन चारों चरणो के निर्माण केर्य पूरा हो जाने के पश्चात दिल्ली मेट्रो के मार्ग की कुल लंबाई ४१३.८ किलोमीटर की हो जाएगी जो लंदन के मेट्रो रेल (४०८ किमी) से भी बडा बना देगी।[49][50][51][52] दिल्ली के २०२१ मास्टर प्लान के अनुसार बाद में मेट्रो रेल को दिल्ली के उपनगरों तक ले जाए जाने की भी योजना बा।

रेल सेवा

दिल्ली भारतीय रेल के नक्शे के एक प्रधान जंक्शन बा। इहां उत्तर रेलवे के मुख्यालय भी बा। इहां के चार मुख्य रेलवे स्टेशन रहे: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, दिल्ली जंक्शन, सराय रोहिल्ला और हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन[42] दिल्ली अन्य सभी मुख्य शहरों और महानगरों से कई राजमार्गों और एक्स्प्रेसवे(त्वरित मार्ग) द्वारा जुड़ा होइल बा। इहां वर्तमान में तीन एक्स्प्रेसवे रहे, और तीन निर्माणाधीन रहे, जो इसे समृद्ध और वाणिज्यिक उपनगरों से जोड़ेंगे। दिल्ली गुड़गांव एक्स्प्रेसवे दिल्ली को गुड़गांव और अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोड़ता बा। डी एन डी फ्लाइवे और नौयडा-ग्रेटर नौयडा एक्स्प्रेसवे दिल्ली को दो मुख्य उपनगरों से जोड़ते रहे। ग्रेटर नौयडा में एक अलग अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा योजनाबद्ध बा, और नौयडा में इंडियन ग्रैंड प्रिक्स नियोजित बा।

वायु सेवा

इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम कोण पर स्थित बा, और यही अन्तर्देशीय और अन्तर्राष्ट्रीय वायु-यात्रियों के लिए शहर के मुख्य द्वार बा। वर्ष २००६-०७ में हवाई अड्डे पर २३ मिलियन सवारियां दर्ज की गईं रहे,[53][54] जो इसे दक्षिण एशिया के व्यस्ततम विमानक्षेत्रों में से एक बनाती रहे। US$१९.३ लाख की लागत से एक नया टर्मिनल-३ निर्माणाधीन बा, जो ३.४ करोड़ अतिरिक्त यात्री क्षमता के होगा, सन २०१० तक पूर्ण होना निश्चित बा।[55] इ आगे भी विस्तार केर्यक्रम नियोजित रहे, जो इहां १०० मिलियन यात्री प्रतिवर्ष से अधिक की क्षमता देंगे।[53] सफदरजंग विमानक्षेत्र दिल्ली के एक अन्य एयरफ़ील्ड बा, जो सामान्य विमानन अभ्यासों के लिए और कुछ वीआईपी उड़ानों के लिए प्रयोग होता बा। [56]

चित्र दीर्घा

दिल्ली से प्रकेशित समाचार पत्र

संदर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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