नेपाल के इतिहास: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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==प्राचिन इतिहास==
==प्राचिन इतिहास==
===किराँत काल===
===किराँत काल===
[[काठमांडु]] घाटी में पावल गईल नि‍योलि‍थि‍क उपकरणन से ई पता चलेला कि अहिजा मानव जाति के बसाई ९ हजार वर्ष पहि‍ले से बा| इ से पता चलल बा कि मानव जे शायद [[किराँत जाति|किराँत]] जाति के रहल लोग लगभग २५०० वर्ष अगाडी अहिजा रहत रहल लोग। किराँती जंगली आ पहाडी कुल के एगो जनजाति हवे लोग, जवन मध्य एशिया, भारत आ हिमालय से आ कर के अहिजा बसे लागल लोग। किराँत काल से पहिले भी इ देश में गोपाल, महिषपाल जईसन अन्य जाति के लोगन के राज्य रहल ई बात के अपुष्ट इतिहास कुल भी पावल जायेला लेकिन स्पष्ट प्रमाण के अभाव होखला से किराँत काल शुरू होखला के समय से पहिले के इतिहास के मानल ना जायेला। एहि कारण से नेपाल के प्रामाणिक प्राचीन इतिहास के शुरुआत किराँत काल से हि भईल बा ई बात के ऐतिहासिक मान्यता मिल चुकल बा। ई काल के राजा यलम्बर के हि प्रथम किराँती राजा के रूप में मानल गईल बा।
[[काठमाडौं|काठमांडु]] घाटी में पावल गईल नि‍योलि‍थि‍क उपकरणन से ई पता चलेला कि अहिजा मानव जाति के बसाई ९ हजार वर्ष पहि‍ले से बा| इ से पता चलल बा कि मानव जे शायद [[किराँत जाति|किराँत]] जाति के रहल लोग लगभग २५०० वर्ष अगाडी अहिजा रहत रहल लोग। किराँती जंगली आ पहाडी कुल के एगो जनजाति हवे लोग, जवन मध्य एशिया, भारत आ हिमालय से आ कर के अहिजा बसे लागल लोग। किराँत काल से पहिले भी इ देश में गोपाल, महिषपाल जईसन अन्य जाति के लोगन के राज्य रहल ई बात के अपुष्ट इतिहास कुल भी पावल जायेला लेकिन स्पष्ट प्रमाण के अभाव होखला से किराँत काल शुरू होखला के समय से पहिले के इतिहास के मानल ना जायेला। एहि कारण से नेपाल के प्रामाणिक प्राचीन इतिहास के शुरुआत किराँत काल से हि भईल बा ई बात के ऐतिहासिक मान्यता मिल चुकल बा। ई काल के राजा यलम्बर के हि प्रथम किराँती राजा के रूप में मानल गईल बा।


===लिच्छवी काल===
===लिच्छवी काल===
सन ४०० से ७५० तक नेपाल के हाल के राजधानी [[काठमांडु]] में [[लिच्छवी वंश|लिच्छवी]]यन के शासन रहल। कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार तथा चिनी यात्री हुएन साङ्ग के यात्रा वृत्तान्त के अनुसार वैशाली से भाग के आईल कुछ वीर पुरुष लोग किराँती कुल के खेद के लिच्छवी वंश के स्थापना कईले रहल लोग । पावल गईल शिलालेख, मुद्रा आ चंगुनारायण मन्दिर के अभिलेख कुल से पता चलेला मानदेव लिच्छवी वंश के प्रथम ऐतिहासिक राजा रहले । अंशुवर्मा के भारत के राजा हर्षवर्धन से निकटतम वैवाहिक सम्बन्ध रहल । ई बात से ई पुष्टि होला कि गण्डक नदी से कोशी नदी तक पहाडी भूभाग में लिच्छवी कुल किराँती कुल के खेद के एक साथ शासन कईले जा। एहि क्षेत्र से दक्षिण के नेपाल के तराई प्रदेश जईसे कि मिथिला राज्य बा ई के अंशुवर्मा अपना अधिन में लेके वैशाली आ पाटलीपुत्र राज्य में समावेश कर दिहले। अंशुवर्मा के बाद नरेन्द्रदेव भारतीय राजा कुल के समर्थन सहयोग से राज्य कईले । नरेन्द्र के बाद गुप्त वंश के शासन अईला से सम्पूर्ण राज्य छोट छोट राज्य में विभाजित हो गईल । ई सम्पूर्ण घटना ईसा पूर्व के ह। ओने बंगाल में चालुक्यसेन के राज्य रहल । नान्यदेव चालुक्य राजा के सेनापति रहले। जे तिरहुत डोय राज्य के स्थापना कर के सिमरनगढ के आपन राजधानी बनवले । मुसलमान आक्रमणकारी सुद्धिन तुगलक के भय से नान्यदेव के पलाती हरि सिंहदेव सर्लाही जिल्ला होते हुए भक्तपुर भाग गईलन उनकर रानी राजल देवी जयस्थिति मल्ल के आपन दामाद बनाके मल्लवंश के शासन स्थापित कईली।
सन ४०० से ७५० तक नेपाल के हाल के राजधानी [[काठमाडौं|काठमांडु]] में [[लिच्छवी वंश|लिच्छवी]]यन के शासन रहल। कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार तथा चिनी यात्री हुएन साङ्ग के यात्रा वृत्तान्त के अनुसार वैशाली से भाग के आईल कुछ वीर पुरुष लोग किराँती कुल के खेद के लिच्छवी वंश के स्थापना कईले रहल लोग । पावल गईल शिलालेख, मुद्रा आ चंगुनारायण मन्दिर के अभिलेख कुल से पता चलेला मानदेव लिच्छवी वंश के प्रथम ऐतिहासिक राजा रहले । अंशुवर्मा के भारत के राजा हर्षवर्धन से निकटतम वैवाहिक सम्बन्ध रहल । ई बात से ई पुष्टि होला कि गण्डक नदी से कोशी नदी तक पहाडी भूभाग में लिच्छवी कुल किराँती कुल के खेद के एक साथ शासन कईले जा। एहि क्षेत्र से दक्षिण के नेपाल के तराई प्रदेश जईसे कि मिथिला राज्य बा ई के अंशुवर्मा अपना अधिन में लेके वैशाली आ पाटलीपुत्र राज्य में समावेश कर दिहले। अंशुवर्मा के बाद नरेन्द्रदेव भारतीय राजा कुल के समर्थन सहयोग से राज्य कईले । नरेन्द्र के बाद गुप्त वंश के शासन अईला से सम्पूर्ण राज्य छोट छोट राज्य में विभाजित हो गईल । ई सम्पूर्ण घटना ईसा पूर्व के ह। ओने बंगाल में चालुक्यसेन के राज्य रहल । नान्यदेव चालुक्य राजा के सेनापति रहले। जे तिरहुत डोय राज्य के स्थापना कर के सिमरनगढ के आपन राजधानी बनवले । मुसलमान आक्रमणकारी सुद्धिन तुगलक के भय से नान्यदेव के पलाती हरि सिंहदेव सर्लाही जिल्ला होते हुए भक्तपुर भाग गईलन उनकर रानी राजल देवी जयस्थिति मल्ल के आपन दामाद बनाके मल्लवंश के शासन स्थापित कईली।
===मल्ल काल===
===मल्ल काल===
1201–1769 ई0 के समय नेपाल में मल्ल काल के शासन रहल। मल्ल काल में काठमांडु आ ई के आस-पास के क्षेत्र मात्र नेपाल कहल जात रहल आ इ क्षेत्र में रहे वाला लोग नेवार कहलात रहल लोग (नेवारी भाषा में नेवार के अर्थ होला नेपाल के नागरिक)। मल्ल-वेश भारत के मल्ल-वंश (महाजनपद) के शासक रहल लोग। मल्ल-वंश खुद के क्षत्रिय बतावत रहल लोग<ref>P. 58 ''Buddhism, Diplomacy, and Trade: The Realignment of Sino-Indian Relations, 600-1400'' By Tansen Sen</ref> मल्ल कुल के भारत छोड़े के दवाब दिहल गईल। मल्ल-वंश के बारे में महाभारत आ बुद्ध के किताब में पढ़ल जा सकत बा। काठमांडु क्षेत्र में लगभग 1200 ई0 में मल्ल के पहिलका शासक शासन में अईले। मानल जायेला मल्ल-काल नेपाल के स्वर्णकाल रहल जवन 600 वर्ष तक चलल।<ref name="Bindloss et al. Nepal. p34.">Bindloss ''et al''. p34.</ref>
1201–1769 ई0 के समय नेपाल में मल्ल काल के शासन रहल। मल्ल काल में काठमांडु आ ई के आस-पास के क्षेत्र मात्र नेपाल कहल जात रहल आ इ क्षेत्र में रहे वाला लोग नेवार कहलात रहल लोग (नेवारी भाषा में नेवार के अर्थ होला नेपाल के नागरिक)। मल्ल-वेश भारत के मल्ल-वंश (महाजनपद) के शासक रहल लोग। मल्ल-वंश खुद के क्षत्रिय बतावत रहल लोग<ref>P. 58 ''Buddhism, Diplomacy, and Trade: The Realignment of Sino-Indian Relations, 600-1400'' By Tansen Sen</ref> मल्ल कुल के भारत छोड़े के दवाब दिहल गईल। मल्ल-वंश के बारे में महाभारत आ बुद्ध के किताब में पढ़ल जा सकत बा। काठमांडु क्षेत्र में लगभग 1200 ई0 में मल्ल के पहिलका शासक शासन में अईले। मानल जायेला मल्ल-काल नेपाल के स्वर्णकाल रहल जवन 600 वर्ष तक चलल।<ref name="Bindloss et al. Nepal. p34.">Bindloss ''et al''. p34.</ref>


===नेपाल एकिकरण===
===नेपाल एकिकरण===
विक्रम संवत १७९९ में गोरखा के राजा नरभुपाल शाह के निधन के पश्चात राज्य सम्हाल के रखले रहन उनकर जेठ लैका [[पृथ्वीनारायण शाह|पृथ्वी नारायण शाह]]। पृथ्वीनारायण शाह राज्य के विस्तार करे के सोचलन आ नेपाल के एकिकरण के शुरुआत कर दिहलन। उ पहिला हाली नुवाकोट पर विसं १८०० में आक्रमण कइलन लेकिन ओह बेरा उनके हार के सामना करे के पड़ल। फिर विसं १८०१ में दुसरा हाली आक्रमण कईले आ नुवाकोट के उपर विजय प्राप्त कर लिहलें। ओ के बाद उ विसं १८१४ आ विसं १८२१ में [[किर्तिपुर के लड़ाई]] में दू-दू बार बहुत बुरा तरह से पराजित भईले। ई लड़ाई में किर्तिपुर के लोग सेनापति कालु पाण्डेय के मार दिहले जा आ पृथ्वी नारायण शाह के भाई सुरप्रताप के आँख कुल फोड़ दिहले जा। विसं १८२२ चैत्र ३ गते पुन: किर्तिपुर के ऊपर आक्रमण करल गईल आ विजय हासिल भईल। पृथ्वी नारायण विसं १८२५ भाद्र शुक्ल चर्दुशी के दिन [[काठमांडु]] में [[इन्द्रयात्रा]] पर्व मनावतखान आक्रमण कर दिहले आ जीत गईले। एकरा बाद उ क्रमश: विसं १८२५ आश्विन २२ में [[ललितपुर जिला|ललितपुर]], विसं १८२६ कार्तिक में [[भक्तपुर]] के ऊपर विजय प्राप्त कईले।
विक्रम संवत १७९९ में गोरखा के राजा नरभुपाल शाह के निधन के पश्चात राज्य सम्हाल के रखले रहन उनकर जेठ लैका [[पृथ्वीनारायण शाह|पृथ्वी नारायण शाह]]। पृथ्वीनारायण शाह राज्य के विस्तार करे के सोचलन आ नेपाल के एकिकरण के शुरुआत कर दिहलन। उ पहिला हाली नुवाकोट पर विसं १८०० में आक्रमण कइलन लेकिन ओह बेरा उनके हार के सामना करे के पड़ल। फिर विसं १८०१ में दुसरा हाली आक्रमण कईले आ नुवाकोट के उपर विजय प्राप्त कर लिहलें। ओ के बाद उ विसं १८१४ आ विसं १८२१ में [[किर्तिपुर के लड़ाई]] में दू-दू बार बहुत बुरा तरह से पराजित भईले। ई लड़ाई में किर्तिपुर के लोग सेनापति कालु पाण्डेय के मार दिहले जा आ पृथ्वी नारायण शाह के भाई सुरप्रताप के आँख कुल फोड़ दिहले जा। विसं १८२२ चैत्र ३ गते पुन: किर्तिपुर के ऊपर आक्रमण करल गईल आ विजय हासिल भईल। पृथ्वी नारायण विसं १८२५ भाद्र शुक्ल चर्दुशी के दिन [[काठमाडौं|काठमांडु]] में [[इन्द्रयात्रा]] पर्व मनावतखान आक्रमण कर दिहले आ जीत गईले। एकरा बाद उ क्रमश: विसं १८२५ आश्विन २२ में [[ललितपुर जिला|ललितपुर]], विसं १८२६ कार्तिक में [[भक्तपुर]] के ऊपर विजय प्राप्त कईले।


==नेपाल अधिराज्य==
==नेपाल अधिराज्य==


===शाह शासन===
===शाह शासन===
[[पृथ्वीनारायण शाह|पृथ्वी नारायण शाह]] [[काठमांडु]] के ऊपर विजय हासिल कईला के बाद विसं २०२६ में आपन देश के राजधानी [[गोरखा जिला|गोरखा]] से [[काठमांडु]] ले अईले आ उ आपन राज्य गोरखा के नाम बदल के सम्पूर्ण राज्य के नाम नेपाल रख दिहले। पृथ्वी नारायण के मृत्यु के बाद भी राज्य विस्तार के काम ना रुकल आ लगातार अड़ोस-पड़ोस के राज्य जितते हुए उनकर लैका-नाती कुल नेपाल के अउर बढवले जा।
[[पृथ्वीनारायण शाह|पृथ्वी नारायण शाह]] [[काठमाडौं|काठमांडु]] के ऊपर विजय हासिल कईला के बाद विसं २०२६ में आपन देश के राजधानी [[गोरखा जिला|गोरखा]] से [[काठमाडौं|काठमांडु]] ले अईले आ उ आपन राज्य गोरखा के नाम बदल के सम्पूर्ण राज्य के नाम नेपाल रख दिहले। पृथ्वी नारायण के मृत्यु के बाद भी राज्य विस्तार के काम ना रुकल आ लगातार अड़ोस-पड़ोस के राज्य जितते हुए उनकर लैका-नाती कुल नेपाल के अउर बढवले जा।
===राणा शासन===
===राणा शासन===
[[File:Jung bahadur 1877.jpg|thumb|right|250px|प्रधानमन्त्री जंगबहादुर राणा]]
[[File:Jung bahadur 1877.jpg|thumb|right|250px|प्रधानमन्त्री जंगबहादुर राणा]]

13:35, 11 अप्रैल 2015 तक ले भइल बदलाव

एशिया के बड़ देश सब चीन आ भारत के बीच में हिमालय के कोख में बसल देश नेपाल के इतिहास ई क्षेत्र में रहल अन्य देशवन कुल से अलग बा। नेपाल से दक्षिण के देश कुल जब विदेशीयन कुल के अधिन में रहल तवनो घड़ी नेपाल स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापित रहल।

नामाकरण

नेपाल शब्द सब से पहिले अथर्ववेद में उल्लेखित पावल जायेला। अथर्ववेद के अनुसार नेपाल हिमालय के कोख में रहला के कारण नेपाल नाम के उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'निपालय से भईल बा, जेकर अर्थ "पहाड के आधार (पैर) " अथवा "पैर पर निवास" ह। ई के साथ साथ निचे बतावल गईल कथनो कुल सुने में आवेला:

  • नेपाल शब्द तिब्बती भाषा नियमपाल आईल बा, जेकर अर्थ ह "पवित्र भूमी"।
  • बहुत समय पहिले नेपाल बहुत मात्रा में उन के उत्पादन करत रहल आ ऊन रखे खातिर तिरपाल के घर के प्रयोग करत रहल। अहिजा ने जेकर अर्थ ह ऊन आ पाल जेकर अर्थ बतावन जायेला तिरपाल। इहे शब्द से नेपाल नाम पड़ल हो सकत बा।
  • ने नाम के एगो ऋषी ई क्षेत्र के संरक्षण देले रहलन एहि से नेपाल(संरक्षण करना) ई दुईगो शब्द मिलके नेपाल नाम आईल बा अईसनो मान्यता बा।

प्राचिन इतिहास

किराँत काल

काठमांडु घाटी में पावल गईल नि‍योलि‍थि‍क उपकरणन से ई पता चलेला कि अहिजा मानव जाति के बसाई ९ हजार वर्ष पहि‍ले से बा| इ से पता चलल बा कि मानव जे शायद किराँत जाति के रहल लोग लगभग २५०० वर्ष अगाडी अहिजा रहत रहल लोग। किराँती जंगली आ पहाडी कुल के एगो जनजाति हवे लोग, जवन मध्य एशिया, भारत आ हिमालय से आ कर के अहिजा बसे लागल लोग। किराँत काल से पहिले भी इ देश में गोपाल, महिषपाल जईसन अन्य जाति के लोगन के राज्य रहल ई बात के अपुष्ट इतिहास कुल भी पावल जायेला लेकिन स्पष्ट प्रमाण के अभाव होखला से किराँत काल शुरू होखला के समय से पहिले के इतिहास के मानल ना जायेला। एहि कारण से नेपाल के प्रामाणिक प्राचीन इतिहास के शुरुआत किराँत काल से हि भईल बा ई बात के ऐतिहासिक मान्यता मिल चुकल बा। ई काल के राजा यलम्बर के हि प्रथम किराँती राजा के रूप में मानल गईल बा।

लिच्छवी काल

सन ४०० से ७५० तक नेपाल के हाल के राजधानी काठमांडु में लिच्छवीयन के शासन रहल। कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार तथा चिनी यात्री हुएन साङ्ग के यात्रा वृत्तान्त के अनुसार वैशाली से भाग के आईल कुछ वीर पुरुष लोग किराँती कुल के खेद के लिच्छवी वंश के स्थापना कईले रहल लोग । पावल गईल शिलालेख, मुद्रा आ चंगुनारायण मन्दिर के अभिलेख कुल से पता चलेला मानदेव लिच्छवी वंश के प्रथम ऐतिहासिक राजा रहले । अंशुवर्मा के भारत के राजा हर्षवर्धन से निकटतम वैवाहिक सम्बन्ध रहल । ई बात से ई पुष्टि होला कि गण्डक नदी से कोशी नदी तक पहाडी भूभाग में लिच्छवी कुल किराँती कुल के खेद के एक साथ शासन कईले जा। एहि क्षेत्र से दक्षिण के नेपाल के तराई प्रदेश जईसे कि मिथिला राज्य बा ई के अंशुवर्मा अपना अधिन में लेके वैशाली आ पाटलीपुत्र राज्य में समावेश कर दिहले। अंशुवर्मा के बाद नरेन्द्रदेव भारतीय राजा कुल के समर्थन सहयोग से राज्य कईले । नरेन्द्र के बाद गुप्त वंश के शासन अईला से सम्पूर्ण राज्य छोट छोट राज्य में विभाजित हो गईल । ई सम्पूर्ण घटना ईसा पूर्व के ह। ओने बंगाल में चालुक्यसेन के राज्य रहल । नान्यदेव चालुक्य राजा के सेनापति रहले। जे तिरहुत डोय राज्य के स्थापना कर के सिमरनगढ के आपन राजधानी बनवले । मुसलमान आक्रमणकारी सुद्धिन तुगलक के भय से नान्यदेव के पलाती हरि सिंहदेव सर्लाही जिल्ला होते हुए भक्तपुर भाग गईलन उनकर रानी राजल देवी जयस्थिति मल्ल के आपन दामाद बनाके मल्लवंश के शासन स्थापित कईली।

मल्ल काल

1201–1769 ई0 के समय नेपाल में मल्ल काल के शासन रहल। मल्ल काल में काठमांडु आ ई के आस-पास के क्षेत्र मात्र नेपाल कहल जात रहल आ इ क्षेत्र में रहे वाला लोग नेवार कहलात रहल लोग (नेवारी भाषा में नेवार के अर्थ होला नेपाल के नागरिक)। मल्ल-वेश भारत के मल्ल-वंश (महाजनपद) के शासक रहल लोग। मल्ल-वंश खुद के क्षत्रिय बतावत रहल लोग[1] मल्ल कुल के भारत छोड़े के दवाब दिहल गईल। मल्ल-वंश के बारे में महाभारत आ बुद्ध के किताब में पढ़ल जा सकत बा। काठमांडु क्षेत्र में लगभग 1200 ई0 में मल्ल के पहिलका शासक शासन में अईले। मानल जायेला मल्ल-काल नेपाल के स्वर्णकाल रहल जवन 600 वर्ष तक चलल।[2]

नेपाल एकिकरण

विक्रम संवत १७९९ में गोरखा के राजा नरभुपाल शाह के निधन के पश्चात राज्य सम्हाल के रखले रहन उनकर जेठ लैका पृथ्वी नारायण शाह। पृथ्वीनारायण शाह राज्य के विस्तार करे के सोचलन आ नेपाल के एकिकरण के शुरुआत कर दिहलन। उ पहिला हाली नुवाकोट पर विसं १८०० में आक्रमण कइलन लेकिन ओह बेरा उनके हार के सामना करे के पड़ल। फिर विसं १८०१ में दुसरा हाली आक्रमण कईले आ नुवाकोट के उपर विजय प्राप्त कर लिहलें। ओ के बाद उ विसं १८१४ आ विसं १८२१ में किर्तिपुर के लड़ाई में दू-दू बार बहुत बुरा तरह से पराजित भईले। ई लड़ाई में किर्तिपुर के लोग सेनापति कालु पाण्डेय के मार दिहले जा आ पृथ्वी नारायण शाह के भाई सुरप्रताप के आँख कुल फोड़ दिहले जा। विसं १८२२ चैत्र ३ गते पुन: किर्तिपुर के ऊपर आक्रमण करल गईल आ विजय हासिल भईल। पृथ्वी नारायण विसं १८२५ भाद्र शुक्ल चर्दुशी के दिन काठमांडु में इन्द्रयात्रा पर्व मनावतखान आक्रमण कर दिहले आ जीत गईले। एकरा बाद उ क्रमश: विसं १८२५ आश्विन २२ में ललितपुर, विसं १८२६ कार्तिक में भक्तपुर के ऊपर विजय प्राप्त कईले।

नेपाल अधिराज्य

शाह शासन

पृथ्वी नारायण शाह काठमांडु के ऊपर विजय हासिल कईला के बाद विसं २०२६ में आपन देश के राजधानी गोरखा से काठमांडु ले अईले आ उ आपन राज्य गोरखा के नाम बदल के सम्पूर्ण राज्य के नाम नेपाल रख दिहले। पृथ्वी नारायण के मृत्यु के बाद भी राज्य विस्तार के काम ना रुकल आ लगातार अड़ोस-पड़ोस के राज्य जितते हुए उनकर लैका-नाती कुल नेपाल के अउर बढवले जा।

राणा शासन

प्रधानमन्त्री जंगबहादुर राणा


प्रजातन्त्र

पञ्चायती शासन

प्रथम जनआन्दोलन

माओवादी जनयुद्ध आ संकटकाल

नारायणहिटी राजदरबार हत्याकाण्ड

दुसरका जनआन्दोलन

संघिय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपाल

सन्दर्भसुची

  1. P. 58 Buddhism, Diplomacy, and Trade: The Realignment of Sino-Indian Relations, 600-1400 By Tansen Sen
  2. Bindloss et al. p34.

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