पृथ्वी नारायण शाह: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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पृथ्वी नारायण शाह नेपाल के एगो छोट पाहडी राज्य गोरखा के राजा नरभुपाल शाह तथा रानी कौसल्यावती के लैका रहलन । बि.सं. १७७९ मेँ इनकर जनम भईल रहल । बि.सं. १७९९ मेँ बीस बरस के उमर मेँ पृथ्वीनारयण शाह गोरखा के राजा बनल रहलन। ई आधुनिक नेपाल के जनमदाता हउवन ईहे के छोट छोट राज्यन मेँ विभाजीत नेपाल के एकिकृत करे के शुरुवात कईनी, नेपाल प्राचिन काले से एकिकृत होकर के विभाजित हो जात रहल। अईसे त पृथ्वी नरायण शाहो से पहिले उपत्यका के राजा यक्ष मल्ल, पाल्पा के राजा मणीमकुन्द सेन आ जुम्ला के राजा जितारी मल्ल के बेरा भी एकीकरण भईल रहल बाकी एकीकृत नेपाल के ऊपर उल्लेखित राजा लोग ढेर दिन तक बचा के ना रख सकलन जा आ चाहे अपन भाई बेटवन मेँ आपन जिवनकाले मेँ बाँट के चल गईलन जा। लेकिन पृथ्वी नारायण शाह जब एकीकरण शुरू कईलन त नेपाल के फेर विभाजन हो ना देहलन आ जोगा के रखे खातिर सभन के सिखा गईलन ।

पृथ्वी नारायण शाह आधुनीक नेपाल के नीँव गाड़ के गईलन आ छोट छोट क्षेत्र जैसे (भिरकोट,कास्की,लम्जुंग गोरखा) मेँ राज करत शाहवंश के पुरे नेपाल के राजवंश मेँ बदल देहलन। बि.सं. १८३१ मेँ पृथ्वी नारायण शाह ५२ वर्ष के उमर मेँ देहान्त कर गईलन तबो नेपाल एकिकरण अभियान उनकर पतोह रानी राजेन्द्र लक्ष्मी, लैका राजकुमार बाहदुर शाह सब मिलकर के आगे बढवलन। नेपाल एकिकरण अभियान के पुर्णविराम उनकर परनाती राजा गिर्वाण युद्ध विक्रम शाह के समय मेँ भईल नेपाल अंग्रेज युद्ध जेकरा के एंगलो-नेपाल युद्ध (१८१४–१६) के बाद भईल।

उक्त युद्ध मेँ नेपाल आपन सार्वर्भौमिकता त बचा लेहलख बाकी बिशाल नेपाल के क्षेत्र जेमे पश्चिम क्षेत्र मेँ हाल के भारत के उतराखंड राज्य , हिमाचल राज्य तथा पंजाब के छोट छोट पहाड़ी क्षेत्र आ सतलज नदी पार के पहाडी राज्य तक रहे त पूरब मेँ दार्जिलिङ, से लेके टिष्टा नदी तक तराई आ पहाडी भू भाग ब्रिटिस इस्ट इण्डिया कम्पनि सरकार के सुगौली सन्धि के अन्तर्गत देवे के पडल। सिक्किम के उपर नेपाल के अधिकारो खतम हो गईल। बाकी अंग्रेज लोग नेपाल के १८२२ मेँ मेची से राप्ती तक तराई तथा प्रथम राणा प्रधानमन्त्री जंगबहादुर के काम से खुश होके राप्ती से महाकाली के बिच के तराई भू भाग १८६० मेँ वापस लौटा देहलख।