सिक्किम: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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==परिवहन==
==परिवहन==
सिक्किम में कठिन भूक्षेत्र होऐ के कारण इहा कौनो हवाई अड्डा अथवा रेल स्टेशन न हवे ।नजिक हवाईअड्डा बागदोगरा हवाईअड्डा, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल में बा। इ हवाईअड्डा गंगटोक से १२४ कि०मी० दूर मे बा । गंगटोक से बागदोगरा तक सिक्किम से हेलीकॉप्टर सर्विस द्वारा एगो हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध बा। जेकर उड़ान ३० मिनट लम्बआ बा, दिन में केवल एक बार चलेला औरि केवल ४ लोगो के ले जा सकेला ।गंगटोक हैलीपैड राज्य मे एकमात्र असैनिक हैलीपैड बा । निकटतम रेल स्टेशन नई जलपाईगुड़ी में बा जोन सिलीगुड़ी से १६ किलोमीटर।कि०मी० कि दूरी मे बा ।
राष्ट्रीय राजमार्ग ३१A सिलीगुड़ी के गंगटोक से जोरेला । ई एगो सर्व-ऋतु मार्ग बाटे तथा सिक्किम के रंग्पो मे प्रवेश करे खातिर। पश्चात तीस्ता नदी के समानान्तर चलेला। बहुत सार्वजनिक अथवा निजी वाहन हवाई-अड्डे, रेल-स्टेशन तथा औरि सिलिगुड़ी के गंगटोक से जोरला । मेल्ली से आवे वाला एगो राजमार्ग शाखा पश्चिमी सिक्किम से जोरेला । सिक्किम के दक्षिणी और पश्चिमी शहर सिक्किम के उत्तरी पश्चिमी बंगाल के पर्वतीय शहर कलिम्पोंग औरि दार्जीलिंग से जोरेला । राज्य के भीतर चौपहिया वाहन लोकप्रिय हवे कहेकि ई राज्य के चट्टानी चढ़ाइयों के आसानी से पार करे में सक्षम होएला। छोटी बस राज्य के छोटे शहरों के राज्य औरि जिला मुख्यालयों से जोरेला। अभि एगो नया ऐरोपलेन के हवाई-अड्डा खुले वाला बा जो कि पाकयोन्ग मे बा।


==जनसांख्यिकी==
==जनसांख्यिकी==

14:29, 19 अक्टूबर 2012 तक ले भइल बदलाव

टेम्पलेट:भारत के प्रान्त सिक्किम भारत के 28 राज्य में से एगो ह। ई के राजधानी [[गांतोक] बा। सिक्किम के जनसंख्या भारत के राज्य में से सब्से कम बा तथा क्षेत्रफल गोआ के पश्चात से भि कम ह।सिक्किम नामग्याल राजतन्त्र द्वारा बनल एगो स्वतन्त्र राज्य रहल, परन्तु प्रशासनिक समस्यायों के चलते तथा भारत से विलय के जनमत के कारण १९७५ में एगो जनमत-संग्रह के कारन भारत में डालल् गइल ओहि के करन संग्रह के पश्चात राजतन्त्र के बाद औरि भारतीय संविधान के नियम-प्रणाली के दांचा में प्रजातन्त्र भइल। अंगूठे के आकार जैसन ई राज्य पश्चिम में नेपाल,परेला उत्तर तथा पूर्व से चीन तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तथा दक्षिण-पूर्व से भूटान से जुरल बा। भारत के पश्चिम बंगाल राज्य से दक्षिण में बा।सिक्किम मे अंग्रेजी,नेपाली, लेप्चा, भूटिया, लिंबू औरि हिन्दी जैसन भाषा के पर्योग होला परन्तु लिखे खातिर अंग्रेजी औरि नेपालि ही उपयोग जादा।होला हिन्दू तथा बज्रयान बौद्ध धर्म सिक्किम के प्रमुख धर्म बा।लेकिन यहा औरि जाति के लोग भि रहेला जैसे कि मुस्लिम,हिन्दु,लेपचा,राइ,गुरुन्ग आदि। कहल जाला कि बौद्ध संत गुरु रिम्पोचे 9 वीं सदी के सिक्किम के,बौद्ध धर्म और राजशाही के पूर्वाभास युग शुरू करले. ओहि के अनुसार्, नामग्याल राजवंश 1642 में स्थापित करल गइल . अगले 150 वर्ष से ई राज्य नेपाली आक्रमणकारियों के खातिर लगातार छापा मारल गइल और प्रादेशिक नुकसान भैइल। अपने छोटे आकार के बावजूद भि सिक्किम भौगोलिक दृष्टि से काफ़ी विभिन्न बा। कंचनजंगा जो कि दुनिया के तीसरा सबसे ऊंचा चोटी बा,उ सिक्किम के उत्तरी पश्चिमी भाग में नेपाल की सीमा पर परेला और ई पर्वत चोटी के प्रदेश के कई भागो से आसानी से ही देखाइ देला। सिक्किम के विशेषता जेमे एकर साफ सुथरा ,प्राकृतिक सुंदरता एवं राजनीतिक स्थिरता शामिल बा,॥॥॥



नाम के मूल

सिक्किम शब्द के लिम्बू भाषा के शब्द के अनुसार("नवीन") तथा ख्यिम(अर्थात "महल" अथवा "घर" - जो कि प्रदेश के पहिल्का राजा फुन्त्सोक नामग्याल के द्वारा बनाईल गयिल महल के संकेतक बा। तिब्बती भाषा में सिक्किम के दॅञ्जॉङ्ग, अर्थात "चावल की घाटी" कहल जाला।

इतिहास

मुख्य लेख : सिक्किम के इतिहास

बौद्ध भिक्षु गुरु रिन्पोचे (पद्मसंभव) के ८ वीं सदी में सिक्किम दौरा ईहा से सम्बन्धित सबसे पुरान विवरण हवे। अभिलेखित बावे कि उहाके बौद्ध धर्म के प्रचार कैनिह, सिक्किम के आशिवाद देहनिह। औरि कुछ सदियों के बाद आवे वाला राज्य के भविष्यवाणी कअरले रहलन। मान्यता के अनुसार १४ वीं सदी में ख्ये बुम्सा, पूर्वी तिब्बत में खाम के मिन्यक महल के एगो राजकुमार के एक रात दैवीय दृष्टि के अनुसार दक्षिण की ओर जाय के आदेश मिलल। उनकर ए ही वंशजन् सिक्किम में राजतन्त्र के स्थापना कर्लस। १६४२ इस्वी में ख्ये के पाँचवें वंशज फुन्त्सोंग नामग्याल के तीन बौद्ध भिक्षु, जउन उत्तर, पूर्व तथा दक्षिण से आइल रहला । द्वारा युक्सोम में सिक्किम के प्रथम चोग्याल(राजा) घोषित कइल्य गइल्। इ प्रकार सिक्किम में राजतन्त्र के शुरूआत भईल। फुन्त्सोंग नामग्याल के पुत्र, तेन्सुंग नामग्याल उनकरा बाद १६७० में कार्य-भार संभालन। तेन्सुंग राजधानी के युक्सोम से रबदेन्त्से स्थानान्तरित कर दिहलन। सन १७०० में भूटान में चोग्याल के अर्बहन, जिसे राज-गद्दी से वंचित कर दिया गया था, द्वारा सिक्किम पर आक्रमण हुआ। तिब्बतियों की सहयता से चोग्याल को राज-गद्दी पुनः सौंप दी गयी। १७१७ तथा १७३३ के बीच सिक्किम के नेपाल औरि भूटान के अनेक आक्रमणों के सामना करेके पड़ल जेकारा कारण रबदेन्त्से के अन्तत:पतन हो गईल।

1791 में चीन ने सिक्किम के मदद के लागि औरी तिब्बत के गोरखा से बचावे के खातिर अपन सभि सेना भेज देले रहस। नेपाल हारे के पश्चात,सिक्किम के राजा वंश के भाग बन गइल। पड़ोसी देश भारत में ब्रतानी राज आवे के बाद सिक्किम अपन प्रमुख दुश्मन नेपाल के विरुद्ध हाथ मिला लेह्लस्।बाद मे नेपाल सिक्किम पर आक्रमण करदेहलस एवं तराई के साथ काफी सारे क्षेत्रों पर कब्जा करलेहलस। एक्रे वज़ह से ईस्ट इंडिया कम्पनी नेपाल पर चढ़ाई कर देह्लस जेकर परिणाम १८१४ के गोरखा युद्ध रहल। सिक्किम और नेपाल के बीच एगो सुगौली संधि तथा सिक्किम औरि ब्रतानवी भारत के बीच भइल तितालिया संधि के द्वारा नेपाल द्वारा अधिकृत सिक्किमी क्षेत्र सिक्किम के वर्ष १८१७ में लौटा दियल गइल। एहि के करन, अंग्रेज द्वारा मोरांग प्रदेश में कर लागू करने के कारण सिक्किम और अंग्रेजी शासन के बीच संबंध में कड़वाहट आ गइल।वर्ष १८४९ में दो अंग्रेज़ अफसर, सर जोसेफ डाल्टन और डाक्टर अर्चिबाल्ड कैम्पबेल, जेमे उत्तरवर्ती (डाक्टर अर्चिबाल्ड) सिक्किम और ब्रिटिश सरकार के बीच संबंधों के लिए जिम्मेदार मनल गइल्, बिना अनुमति अथवा सूचना के सिक्किम के पर्वतों में चलगइलन। इ दोनों अफसरों को सिक्किम सरकार ने बंधी बना लेह्लस एहि के वझह से नाराज़ ब्रिटिश शासन इ हिमालयी राज्य पर चढाई करदेह्लस औरि १८३५ में भारत के साथ मिला देह्लस। इ चढाई के परिणाम वश चोग्याल ब्रिटिश गवर्नर के आधीन एगो कठपुतली राजा बन के रहगेह्लस।

१९४७ में एगो लोकप्रिय मत द्वारा सिक्किम के भारत में विलय के अस्वीकार कर दिहलश औरि तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू सिक्किम के संरक्षित राज्य के दर्जा प्रदान कईलन। इकरा चलते भारत सिक्किम के संरक्षक भैइल। सिक्किम के विदेशी, राजनयिक अथवा सम्पर्क संबन्धी विषयों के ज़िम्मेदारी भारत संभाल लेहलक। सन १९५५ में एगो राज्य परिषद् स्थापित कैइल गईल जेकरा आधीन चोग्याल के एगो संवैधानिक सरकार बनाए के अनुमति दिअल गईल। ई दौर मे सिक्किम नेशनल काँग्रेस द्वारा फेर मतदान और नेपालियन के अधिक प्रतिनिधित्व के मांग के चलते राज्य में गडबडी के स्थिति पैदा हो गईल। १९७३ में राजभवन के सामने भैइल दंगन के कारण भारत सरकार से सिक्किम के संरक्षण प्रदान करेके औपचारिक अनुरोध कईल गईल। चोग्याल राजवंश सिक्किम में अत्यधिक अलोकप्रिय साबित होत रहल ह। सिक्किम पूर्ण रूप से बाहरी दुनिया के खातिर बंद रहल औरि बाह्य विश्व के सिक्किम के बारे मैं बहुत कम जानकारी रहल। यद्यपि अमरीकन आरोहक गंगटोक के कुछ चित्र औरि अन्य कानूनी प्रलेख के तस्करी करे में सफल भैइल। ई प्रकार भारत के कार्यवाही विश्व के दृष्टि में आईल। यद्यपि इतिहास लिखल जा चुकल रहलक औरि वास्तविक स्थिति विश्व के तब पता चलल जब काजी (प्रधान मंत्री) १९७५ में भारतीय संसद से ई अनुरोध करलन कि सिक्किम के भारत के एगो राज्य स्वीकार करके ओकरा के भारतीय संसद में प्रतिनिधित्व प्रदान कैइल जाव। अप्रैल १९७५ में भारतीय सेना सिक्किम में प्रविष्ट भैइल औरी राजमहल के पहरेदारन के निःशस्त्र करला के बाद गंगटोक के अपना कब्जे में ले लिहलश। दु दिन के भीतर सम्पूर्ण सिक्किम राज्य भारत सरकार के नियंत्रण में रहलश। सिक्किम के भारतीय गणराज्य मे सम्मिलित्त करला के प्रश्न पर सिक्किम के ९७.५ प्रतिशत जनता समर्थन कईलन। कुछ ही हप्ता के उपरांत १६ मई १९७५ मे सिक्किम औपचारिक रूप से भारतीय गणराज्य के २२ वां प्रदेश बनल औरि सिक्किम मे राजशाही खत्म भईल। वर्ष २००२ मे चीन के एगो बड़ शर्मिंदगी के सामना तब करेके पड़ल जब सत्रहवें कर्मापा उर्ग्यें त्रिन्ले दोरजी, जेकरा के चीनी सरकार एक लामा घोषित कर चुकल रहल, एक नाटकीय अंदाज में तिब्बत से भाग के सिक्किम के रुम्तेक मोनास्ट्री मे जा पहुंचल। चीनी अधिकारी ई धर्म संकट मे जा फँसलन कि ई बात का विरोध भारत सरकार से कैसे करल जाव। भारत से विरोध कईला के अर्थ ई निकलित कि चीनी सरकार प्रत्यक्ष रूप से सिक्किम के भारत के अभिन्न अंग के रूप मे स्वीकार ले ले बा। चीनी सरकार के अभी तक सिक्किम पर औपचारिक स्थिति ई रहलक कि सिक्किम एगो स्वतंत्र राज्य हवे जउना पर भारत अधिक्रमण कर ले ले बा। [3][8] चीन अंततः सिक्किम के २००३ में भारत के एक राज्य के रूप में स्वीकार कैलश जउना से भारत-चीन संबंधों में आईल कड़वाहट कुछ कम भैइल। बदले में भारत तिब्बत के चीन के अभिन्न अंग स्वीकार कईलश। भारत और चीन के बीच भैइल एगो महत्वपूर्ण समझौते के तहत चीन एगो औपचारिक मानचित्र जारी कईलश जउना मे सिक्किम के स्पष्ट रूप मे भारत की सीमा रेखा के भीतर दिखावल गईल। ई समझौता पर चीन के प्रधान मंत्री वेन जियाबाओ औरि भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह हस्ताक्षर कईलन। ६ जुलाई, २००६ मे हिमालय के नाथुला दर्रे के सीमावर्ती व्यापार के खातिर खोल दियल गईल जउना ई संकेत मिलत बा की इस क्षेत्र के लेके दूनु देशन के बीच सौहार्द के भाव पैदा भैइल बा। [9]

भूगोल

अंगूठे के जैसन आकार के सिक्किम पूरा पर्वतीय क्षेत्र बाटे । विभिन्न स्थानों के ऊँचाई समुद्री तल से २८० मीटर (९२० फीट) से ८,५८५ मीटर (२८,००० फीट) तक बाटे । कंचनजंगा यहाँ के सबसे ऊंचा चोटी ह । यहा के अधिकतर हिस्सा खेती।कृषि के खातिर अन्युपयुक्त हाटे । एकर बावजूद कुछ ढलान के कारन खेतों में बदल दियल गइल बा और पहाड़ी तरीके से खेती करल जाला । बर्फ से निकलल बहुत धारा मौजूद होए के करन से सिक्किम के दक्षिण और पश्चिम में नदि के घाटि बन गैइल बा । येहि धारा मिल के टीस्ता और रंगीत बनला । टीस्ता के सिक्किम के जीवन रेखा भी कहल जाला औरि इ सिक्किम के उत्तर से दक्षिण में बहेला । प्रदेश के एगो तिहाई हिस्सा घना जंगलों से घिरल हटे ।

हिमालय के ऊँची पर्वत श्रंखलाओं ने सिक्किम के उत्तरी, पूर्वी औरि पश्चिमी दिशा मे अर्धचन्द्राकार।अर्धचन्द्र में घेर के रखल बा । राज्य के अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र अधिकतर राज्य के दक्षिणी भाग मे, हिमालय के कम ऊँचाई वाल श्रंखलाओं मे स्थित बा । राज्य मे अट्‌ठाइस पर्वत चोटि, इक्कीस हिमानी, दो सौ सत्ताईस झील।(जेमे चांगु झील, गुरुडोंग्मार झील और खेचियोपल्री झील।खेचियोपल्री झील शामिल ह्टे), पाँच गर्म पानी के चश्मे।गर्म पानी के चश्मा औरि सौ से अधिक नदि औरि नाला ह । आठ पहाड़ी सिक्किम के तिब्बत, भूटान और नेपाल से जोरेला।

भूतत्व

सिक्किम पहाड़ि मुख्यतः नेस्ती(gneissose) औरि अर्द्ध-स्कीस्तीय(half-schistose) पत्थर से बनल ह्टे, ओहि के कारण सिक्किम के मिट्टी भूरी मृत्तिका, तथा मुख्यतः उथला औरि कमज़ोर हटे ।यहाँ के मिटटी खुरदरी तथा लौह जारेय से थोड़ अम्लीय ह् । एमे खनिजी औरि कार्बनिक पोषक के अभाव हटे । अइसन मिट्टी सदाबहार औरि पर्णपाती वनों के योग्य हटे । सिक्किम के भूमि के अधिकतर भाग मे केम्ब्रिया-पूर्व(Precambrian) चट्टान से बनल हटे जेकर आयु पहाड़ से बहुत कमति ह्टे । पत्थर फ़िलीतियों।फ़िलीत(phyllite) औरि स्कीस्त से बनल ह्टे।येहि के कारन से and therefore the slopes are highly susceptible to weathering and prone to erosion. This, combined with the intense rain, causes extensive soil erosion and heavy loss of soil nutrients through leaching. एकर परिणाम स्वरूप यहां आवेवाला दिन भूस्खलन होअत रहला , जो बहुत छोट गाव औरि कस्बों के शहरि इलाकों से संपर्क के तोर देवेले।

गरम पानी के झरना

सिक्किम में गरम पानी के बहुत झिल ह जो अपन रोगहर क्षमता के खातिर परसिध हटे। सबसे महत्वपूर्ण गरम पानी के झिल फुरचाचु, युमथांग, बोराँग, रालांग, तरमचु औरि युमी सामडोंग हटे। इ सभी झिल में काफी मात्रा में सल्फर मिलल जाला औरि ई नदि के किनारे स्थित ह। इ गरम पानी के झिल के औसत तापमान ५० °C (सेल्सियस) तक होला।

मौसम

येहा के मौसम बहुत अछा ह्।भारत के और जगह से बहुत अछा येहा जादा करके ठड रहेला।सिक्किम के अधिकांश आवासित क्षेत्र में, मौसम समशीतोष्ण (टैंपरेट)मे रहेला औरि तापमान कम 28 °सै (82 °फै) से ऊपर यां 0 °सै (32 °फै) से नीचे जाला. सिक्किम में पांच ऋतुएं आवेला: सर्दी, गर्मी, बसंत,पतझड़, औरि वर्षा, जो जून औरि सितंबर के बीच मे आवेला। अधिकतर सिक्किम में औसत तापमान लगभग 18 °सै (64 °फै)रहेला. सिक्किम भारत के उ कुछ राज्यों में से एगो ह जेमे यथाक्रम वर्षा होवेला। हिम रेखा लगभग ६००० मीटर (१९६०० फीट)बा। मानसून के महीन में प्रदेश में भारी वर्षा होवेला जेमे काफी संख्या में भूस्खलन होवेला। प्रदेश में लगातार बारिश होवे के कीर्तिमान ११ दिन के ह। प्रदेश के उत्तरी क्षेत्र में शीत ऋतु में तापमान -४० °C से भी कम होऐला। शीत ऋतु एवं वर्षा ऋतु में कोहरा भी जन जीवन के प्रभावित करेला जेमे परिवहन काफी कठिन होजाला।

उपविभाग

सिक्किम में चार जनपद ह। प्रत्येक जनपद (जिला)के केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा नियुक्त जिलाधिकारी देखेला। चीन की सीमा से लगल होवे के कारण अधिकतर क्षेत्र में भारतीय सेना के बाहुल्य दिखाई देला। कई क्षेत्रों में प्रवेश निषेध ह औरि लोग के घूमे के खातिर परमिट लेवे के परेला। सिक्किम में कुल आठ कस्बे एवं नौ उप-विभाग ह। यह चार जिले पूर्व सिक्किम, पश्चिम सिक्किम, उत्तरी सिक्किम एवं दक्षिणी सिक्किम हटे जेकर राजधानि क्रमश: गंगटोक, गेज़िंग, मंगन एवं नामची ह। यह चार जिला पुन: विभिन्न उप-विभागों में बाँटल गइल हटे। "पकयोंग" पूर्वी जिला के, "सोरेंग" पश्चिमी जिला के, "चुंगथांग" उत्तरी जिला के औरि "रावोंगला" दक्षिणी जिला के उपविभाग ह।

जीव जंतु औरी वनस्पति

सिक्किम हिमालय के निचले हिस्से में पारिस्थितिक गर्मस्थान में भारत के तीन पारिस्थितिक क्षेत्र में से एगो बसल ह। यहाँ के जंगल में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु एवं वनस्पतियाँ मिलेला। अलग अलग ऊँचाई होवे के कारन से यहाँ ट्रोपिकल, टेम्पेरेट, एल्पाइन औरि टुन्ड्रा तरह के पौधा भी मिलेला। ऐइसन छोट इलाका में एइसन भिन्नता कम ही जगह पर मिलल जाला। The flora of Sikkim includes the rhododendron, the state tree, with a huge range of species occurring from subtropical to alpine regions. Orchids, figs, laurel, bananas, sal trees and bamboo in the lower altitudes of Sikkim, which enjoy a sub-tropical type climate. In the temperate elevations above 1,500 metres, oaks, chestnuts, maples, birchs, alders, and magnolias grow in large numbers. The alpine type vegetation includes juniper, pine, firs, cypresses and rhododendrons, and is typically found between an altitude of ३,५०० metres to ५,००० m. Sikkim boasts around ५,००० flowering plants, ५१५ rare orchids, ६० primulas species, ३६ rhododendrons species, ११ oaks varieties, २३ bamboos varieties, १६ conifer species, ३६२ types of ferns and ferns allies, ८ tree ferns, and over ४२४ medicinal plants. The orchid Dendrobium nobile is the official flower of Sikkim.


The Himalayan Black Bear The fauna includes the snow leopard, the musk deer, the Bhoral, the Himalayan Tahr, the red panda, the Himalayan marmot, the serow, the goral, the barking deer, the common langur, the Himalayan Black Bear, the clouded leopard, the Marbled Cat, the leopard cat, the wild dog, the Tibetan wolf, the hog badger, the binturong, the jungle cat and the civet cat. Among the animals more commonly found in the alpine zone are yaks, mainly reared for their milk, meat, and as a beast of burden. सिक्किम के पक्षी जगत में प्रमुख हते - Impeyan pheasant, the crimson horned pheasant, the snow partridge, the snow cock, the lammergeyer and griffon vultures, as well as golden eagles, quail, plovers, woodcock, sandpipers, pigeons, Old World flycatchers, babblers and robins. यहां पक्षि के कुल 550 प्रजाति अभिलिखित किअल गैल बा, जेमे से कुछ के विलुप्तप्रायः घोषित किअल गैल बा।

अर्थ-व्यवस्था

वृहत् अर्थव्यवस्थासंबंधी प्रवाह

यह सांख्यिके एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी सिक्किम के सकल घरेलू उत्पाद के प्रवाह के एगो झलक ह(करोड़ रुपय में)


साल     सकल घरेलू उत्पाद
१९८०       ५२
१९८५       १२२
१९९०       २३४
१९९५       ५२०

२०००       ९७१
२००३       २३७८.६


२००४ के आँकड़ों के अनुसार सिक्किम के सकल घरेलू उत्पाद $४७८ मिलियन होवे के अनुमान लगाऐल गइल ह।

सिक्किम एगो कृषि प्रधान।कृषि राज्य ह्ते औरि यहाँ सीढ़ीदार खेत में पारम्परिक पद्धति से कृषि करल जाला । यहाँ के किसान इलाईची, अदरक, संतरा, सेब, चाय और पीनशिफ आदि के खेती करेले ।चावल राज्य के दक्षिण इलाके में सीढ़ीदार खेत में उगावेले। पुरा भारत में इलाईची के सबसे अधिक उपज सिक्किम में होला । पहाड़ी क्षेत्र होवे के कारण औरि परिवहन के आधारभूत सुविधाओं के अभाव से यहाँ कोई बड़ा उद्योग न ह । मद्यनिर्माणशाला, चर्म-उद्योग तथा घड़ी-उद्योग सिक्किम के मुख्य उद्योग ह । यह राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित ह- मुख्य रूप से मेल्ली औरि जोरेथांग नगरों के । राज्य में विकास दर ८.३% ह्टे, जो दिल्ली के पश्चात राष्ट्र भर में सर्वाधिक ह।


इलायची सिक्किम के मुख्य नकदी फसल ह। हाल के कुछ वर्ष में सिक्किम के सरकार ने प्रदेश में पर्यटन के बढ़ावा देवे प्रारम्भ करले ह । सिक्किम में पर्यटन के बहुत संभावना ह औरि येहि के लाभ उठाके सिक्किम के अप्रत्याशित वृद्धि होएल ह। आधारभूत संरचना में सुधार के चलते, यह उपेक्षा करल जा रहल बा। ऑनलाइन सट्टेबाजी राज्य में एगो नए उद्योग के रूप में उभर कर आ गइल बा । "प्लेविन" जुआ, जेकरा के विशेष रूप से तैयार किएल गइल अंतकों पर परयोग करल जाला,राष्ट्र भर में बहुत वाणिज्यिक पराप्त भइल बा ।राज्य में प्रमुख रूप से ताम्बा, डोलोमाइट, चूना पत्थर, ग्रेफ़ाइट, अभ्रक, लोहा और कोयला आदि खनिजों का खनन करल जाला। जुलाई ६, २००६ के नाथूला दर्रा, जो सिक्किम के ल्हासा, तिब्बत से जोड़ला,इ के खुले से यह आशा जताव तरन कि एसे सिक्किम के अर्थव्यवस्था के बढ़ावा मिलि, भले वे धीरे-धीरे ही देखे के मिलि ।यह दर्रा, जो १९६२ में १९६२ भारत-चीन युद्ध।भारत-चीन युद्ध के पश्चात बंद कर दिहल गइल , प्राचीन रेशम मार्ग के एगो हिस्सा रहल औरि ऊन, छाल औरि मसालों।मसाला के व्यापार में सहायक करत रहल ।

परिवहन

सिक्किम में कठिन भूक्षेत्र होऐ के कारण इहा कौनो हवाई अड्डा अथवा रेल स्टेशन न हवे ।नजिक हवाईअड्डा बागदोगरा हवाईअड्डा, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल में बा। इ हवाईअड्डा गंगटोक से १२४ कि०मी० दूर मे बा । गंगटोक से बागदोगरा तक सिक्किम से हेलीकॉप्टर सर्विस द्वारा एगो हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध बा। जेकर उड़ान ३० मिनट लम्बआ बा, दिन में केवल एक बार चलेला औरि केवल ४ लोगो के ले जा सकेला ।गंगटोक हैलीपैड राज्य मे एकमात्र असैनिक हैलीपैड बा । निकटतम रेल स्टेशन नई जलपाईगुड़ी में बा जोन सिलीगुड़ी से १६ किलोमीटर।कि०मी० कि दूरी मे बा । राष्ट्रीय राजमार्ग ३१A सिलीगुड़ी के गंगटोक से जोरेला । ई एगो सर्व-ऋतु मार्ग बाटे तथा सिक्किम के रंग्पो मे प्रवेश करे खातिर। पश्चात तीस्ता नदी के समानान्तर चलेला। बहुत सार्वजनिक अथवा निजी वाहन हवाई-अड्डे, रेल-स्टेशन तथा औरि सिलिगुड़ी के गंगटोक से जोरला । मेल्ली से आवे वाला एगो राजमार्ग शाखा पश्चिमी सिक्किम से जोरेला । सिक्किम के दक्षिणी और पश्चिमी शहर सिक्किम के उत्तरी पश्चिमी बंगाल के पर्वतीय शहर कलिम्पोंग औरि दार्जीलिंग से जोरेला । राज्य के भीतर चौपहिया वाहन लोकप्रिय हवे कहेकि ई राज्य के चट्टानी चढ़ाइयों के आसानी से पार करे में सक्षम होएला। छोटी बस राज्य के छोटे शहरों के राज्य औरि जिला मुख्यालयों से जोरेला। अभि एगो नया ऐरोपलेन के हवाई-अड्डा खुले वाला बा जो कि पाकयोन्ग मे बा।

जनसांख्यिकी

संस्कृति

राजनीति औरी सरकार

अवसंरचना

पत्राचार

शिक्षा

संदर्भ

टीका-टिप्पणी

बाहरी कड़ियाँ