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स्वास्तिक

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स्वस्तिक एगो अइसन सिंबल भा चीन्हा हवे जे कई ठे संस्कृति सभ में अलग-अलग इस्टाइल में आ अलग-अलग अरथ में इस्तेमाल होखे ला।

स्वास्तिक (संस्कृत: स्वस्तिक) ( भा ) एगो चीन्हा ह जवन यूरो-एशियाई धर्म आ संस्कृतियन में, साथे कुछ अफ्रीकी आ अमेरिकियो संस्कृतियन में इस्तेमाल होखे ला। स्वस्तिक भारतीय धर्मन में, जइसे हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, आ जैन धर्म में, दिव्यता आ आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में पहिलहूँ से इस्तेमाल होखे आ अबहियों हो रहल बा।[1][2][3] पच्छिमी दुनिया में ई ब्यापक रूप से जर्मन नाजी पार्टी के प्रतीक के रूप में जानल जाला, काहे कि उ लोग बीसवीं शताब्दी के सुरुआत में ए के अपन झंडा आ प्रतीक चिन्ह खातिर अपनवलें। आजो दुनियाभर के नव-नाजी समूह एह चीन्हा के इस्तेमाल कइ रहल बाड़ें।[1][4] ई आमतौर पर एगो क्रॉस जइसन बनल होला, जवना के चारों भुजा एके लंबाई के होले आ अगल-बगल के भुजा से सीधा कोण बनावत बा, आ हर भुजा बीच में 90 डिग्री पर मोड़ाइल होले।

"स्वस्तिक" शब्द संस्कृत भाषा के शब्द ह, जवना के मतलब होखे ला "कल्याणकारी" या "मंगलदायक"। हिंदू धर्म में, दाहिना ओर मुड़ल (घड़ी के दिशा में) चिन्ह () के स्वस्तिक कहल जाला, जे सुरुज (सूर्य), समृद्धि आ शुभता के प्रतीक ह। जबकि, उल्टा घुमल चिन्ह () के "सौवस्तिक" कहल जाला, जे रात या काली के तांत्रिक पक्ष के प्रतीक मानल जाला। जैन धर्म में, स्वस्तिक जैन ध्वज के एगो मूलभूत हिस्सा ह आ सातवाँ तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के चीन्हा मानल जाला। बौद्ध धर्म में, ई बुद्ध के शुभ चरण चिह्न के रूप में इस्तेमाल होखेला। अलग-अलग इंडो-यूरोपीय परंपरन में स्वस्तिक के आग, बिजली के कड़क (वज्र), आ सुरुज के प्रतीक मानल गइल बा। ई सिंधु घाटी सभ्यता आ समर्रा संस्कृति के पुरातात्त्विक अवशेष में भी मिलेला, साथे शुरुआती बाइजेंटाइन आ ईसाईयो कलाकृतिन में देखल गइल बा।

  1. 1.0 1.1 "Swastika". Encyclopædia Britannica Online. Retrieved 2022-05-22.
  2. Campion, Mukti Jain (2014-10-23). "How the world loved the swastika – until Hitler stole it". BBC News Magazine. Retrieved 2022-01-11.
  3. Olson, Jim (September 2020). "The Swastika Symbol in Native American Art". Whispering Wind. 48 (3): 23–25. ISSN 0300-6565. ProQuest 2453170975 – via ProQuest.
  4. Cort, John E. (2001). Jains in the World: Religious Values and Ideology in India. Oxford University Press. p. 17. ISBN 978-0-19-513234-2.