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सुंदरकांड

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सुंदरकांड
जानकारी
धरमहिंदू
लेखकवाल्मीकि
भाषासंस्कृत

सुंदरकांड (संस्कृत: सुन्दरकाण्डम्, मतलब: 'सुंदर अध्याय') संस्कृत महाकाब्य आ हिंदू धार्मिक कथा रामायण के पाँचवाँ अध्याय ह;[1] रामायण में अध्यायन के नाँव 'काण्ड' के रूप में रखल गइल हवे। मूल सुंदरकांड संस्कृत में बा, आ परंपरा अनुसार एकरा के महर्षि वाल्मीकि रचले रहलें, जे रामायण के रूप में पहिला बेर रामकथा लिखे वाला कवी मानल जालें। तुलसीदास अपना रामकथा रामचरितमानस में एही नाँव के अध्याय रखले बाड़ें।

सुंदरकांड रामायण के अइसन अकेल अध्याय ह, जहाँ मुख्य किरदार राम ना हउवें, बलुक हनुमान हउवें। एह कांड में हनुमान के बहादुरी, बड़प्पन, आ राम पर गाढ़ सनेह देखावल गइल बा। कहल जाला कि हनुमान के माई अंजनी उनुका के नेह में "सुंदर" कह के बोलावें, एही से महर्षि वाल्मीकि एह अध्याय के नाँव सुंदरकांड रखले, काहें से कि एह अध्याय के पूरा कथा हनुमान आ उनुके के लंका यात्रा के ऊपर बाटे।[2]

पाठ भा पारायण

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रामायण के पाठ (पारायण) के शुरूआत परंपरा अनुसार सुंदरकांड से कइल जाला।

एह पाठ के हिंदू लोग, खास कर के मंगर या शनिचर के दिन, मन लगा के पढ़ेला, काहेकि ई दिन हनुमान जी के विशेष पूजा खातिर राखल गइल बा। एह पाठ के बारे में ई मान्यता बा कि ई सूरज आ छाया के बेटा शनिदेव के खराब असर के टारे में मदद करेला।

रामायण में ई बात बतावल गइल बा कि शनि, जे रावण के महल में बंदी रहलें, उनकर उद्धार हनुमान कइले रहलें। एह उपकार के बदला में शनिदेव सब हनुमान भकतन के संकट आ कष्ट से छुटकारा दे देवे के बचन दिहले रहलें। एगो आउरी कथा बा कि एक बेर शनिदेव हनुमान आ के ऊपर चढ़ के उनकर आपन ग्रह प्रभाव डाले के कोशिश कइले रहलें, बाकिर हनुमान के काँधा आ छत के बीच में फँस गइलन। दर्द ना सह सकलन त तुरंते माफी माँगलन आ हनुमान से छुटकारा पवले।

धरम मान्यता के अनुसार, सुंदरकांड के पाठ घर में शांति, सनेह आ सुभगती ले आवेला। बहुते हिंदू लोग मानेला कि अगर पूरा रामायण पढ़े के समय ना होखे, त खाली सुंदरकांड पढ़ल जरूरी बा।

अउरी दूसर वर्शन

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सुंदरकांड के कई गो रूप दूसर भाषवन में भी मिलेला। जइसे कि अवधी में, जवना में संत तुलसीदास जी रामचरितमानस लिखले रहलें। रामचरितमानस वाल्मीकि रामायण से बहुत बाद में, सोलहवीं सदी में लिखल गइल। ई किताब सुंदरकांड से अउरी आगे बढ़ के राम के सेना के किष्किंधा पर्वत से रामेश्वरम के समुंदर किनारे ले जाए के यात्रा, राम के शिव के अराधना, आ विभीषण, शुक ऋषि, आ समुद्र देवता वरुण के राम के सरन में आवे के कथा भी समेटले बा।

एह में वरुण राम से कहले रहले कि नल अउरी नील नाम के दू गो वानर भाई, जे बढ़िया पुल बनावे के वरदान पवले रहले, उनुका से मदद लिहल जाय। ओही लोग राम सेतु बनवले रहलें जे रामेश्वरम से लंका ले गइल।

एह से पहिले के एगो तमिल संस्करण बा, जवना के रामावतारम कहल जाला, जे कंबन रचले रहलें। ई ग्रंथ दक्षिण भारत में खास कर के श्रीवैष्णव आ स्मार्त ब्राह्मणन में बहुत प्रसिद्ध बा।

एहसे अलगा, तेलुगू में भी एक रूप रंगनाथ रामायणम बा, जवना के गोना बुधा रेड्डी लिखले रहलें। एकरो भीतर सुंदरकांड के कथा बा।

साल 1972 से 1974 के बीच, एम. एस. रामाराव जी तुलसीदास के हनुमान चालीसा आ वाल्मीकि के सुंदरकांड के तेलुगू गीतन में ‘सुंदरकांडमु’ नाम से गा के लोक में लोकप्रिय बना देले रहलें।

मलयालम में सुंदरकांड के एगो स्वतंत्र अनुवाद मिलेला, जवना के ‘आध्यात्म रामायणम किलिपाट्टु’ कहल जाला। एकरा के ठुञ्चत रामानुजन एझुताच्छन लिखले रहलें। ई ग्रंथ आध्यात्म रामायण पर आधारित बा, जे रामानंदी सम्प्रदाय से जुड़ल संस्कृत ग्रंथ ह।

हनुमान चलीसा, जे तुलसीदास लिखले रहलें, हनुमान के वीरता के एगो अलग कवितात्मक भेंट ह। ई रामायण के घटनन के त जिक्र करेला, बाकिर एकर दायरा ओहसे भी आगे बढ़ जाला — हनुमान के पूरा जीवन के समेट लेवेला।

  1. www.wisdomlib.org (2019-01-27). "Sundarakanda, Sundarakāṇḍa, Sundara-kanda: 2 definitions". www.wisdomlib.org (अंग्रेजी में). Retrieved 2022-11-23.
  2. aravamudan, krishnan (2014-09-22). Pure Gems of Ramayanam (अंग्रेजी में). PartridgeIndia. p. 369. ISBN 978-1-4828-3720-9.

बाहरी कड़ी

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