सरहपा

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सरह के हाल के समय के बनावल एगो मुर्ती, संभवतः नैपाल में।

सरहपा भा सरह (c. 8वीं-सदी) सहजिया पंथ के लोगन में पहिला आ महासिद्ध लोग में से एक रहलें। इनका के ओडिया, अंगिकाभोजपुरी[1] (हिंदी) के पहिला कबी मानल जाला आ राहुल सांकृत्यायन इनके समय आठवीं सदी बतावे लें जे बहुधा अवरू बिद्वान लोग के भी मान्य बा। इनके अउरी नाँव में सरह, राहुलभद्र वगैरह भी मिले ला। तिब्बती भाषा में इनके नाँव सरह के अरथ "जे तीर चला चुकल होखे" होला। कुछ लोग इनके नाँव के सहस्रपाद से निकसल बतावे ला।

दोहा, चर्यागीत आ वज्रगीत के रचनाकार मानल जालें।

रचना[संपादन करीं]

  • हरप्रसाद शास्त्री द्वारा संपादित - बौद्धगान ओ दोहा
  • राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से ले आइल सामग्री पर आधारित - दोहा कोश

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. तिवारी, अर्जुन. भोजपुरी साहित्य के इतिहास. बनारस: विश्वविद्यालय प्रकाशन. p. 51.