ब्लैकआउट
जुद्ध के समय ब्लैकआउट के मतलब बा रात में बाहर के रोशनी के कम भा बंद कर देहल, ताकि दुश्मन के हवाई जहाज जमीन पर के टार्गेट के आसानी से ना देख सके। ई तरीका खासकर 20वीं सदी के सुरुआती ज़माना में इस्तेमाल भइल करे, जब हवाई बमबारी के खतरा बढ़ गइल रहे। आज के समय में जीपीएस, थर्मल सेंसर आ अउरी बेहतर टेक्नालजी के चलते अब एह किसिम के ब्लैकआउट के कवनो मतलब ना रह गइल बाटे।
पहिला बिस्व जुद्ध
[संपादन करीं]1913 में, जब विंस्टन चर्चिल ब्रिटिश नौसेना के प्रमुख रहलें, त ऊ ब्रिटेन के तटीय शहरन में ब्लैकआउट के योजना बनवले रहले। 12 अगस्त 1914 के, जब ब्रिटेन युद्ध में शामिल भइल, त ई योजना लागू भइल। 1 अक्टूबर 1914 के, लंदन में तेज बाहरी रोशनी बंद करे के आदेश दिहल गइल। 1915 में जर्मन बमबारी शुरू भइला के बाद, लोग खुदे स्ट्रीट लाइट तोड़ देत रहे, जेकरा चलते फरवरी 1916 में पूरा इंग्लैंड में ब्लैकआउट लागू भइल। फ्रांस
फ्रांस में, 1915 के वसंत में जब जर्मन ज़ेपेलिन बमबारी शुरू कइलस, त पेरिस में ब्लैकआउट लागू भइल। हालांकि, बाद में ई नियम ढीला पड़ गइल, लेकिन 1918 में भारी बमबारी के चलते फिर से लागू भइल। जर्मनी
जर्मनी में, ब्लैकआउट सिर्फ पश्चिमी मोर्चा से 150 किलोमीटर पीछे के क्षेत्र में लागू भइल।
दुसरा बिस्व जुद्ध
[संपादन करीं]द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटेन के एयर मिनिस्ट्री अनुमान लगवले रहे कि रात में हवाई बमबारी से भारी नुकसान हो सकेला। 1 सितंबर 1939 के, युद्ध शुरू होखे से पहिले, ब्लैकआउट नियम लागू भइल। सभी खिड़की-दरवाजा के भारी पर्दा, कार्डबोर्ड या पेंट से ढँक देवे के आदेश दिहल गइल, ताकि रोशनी बाहर ना जाए। स्ट्रीट लाइट बंद या नीचे की ओर मोड़ दिहल गइल, और ट्रैफिक लाइट आ वाहन के हेडलाइट पर खास कवर लगावल गइल।
दुकान आ फैक्ट्री में ब्लैकआउट लागू करे में दिक्कत भइल, खासकर जेकरा छत काँच के रहे। लोगन के असुविधा के बावजूद, ब्लैकआउट नियम सख्ती से लागू भइल, और उल्लंघन करे वाला पर कड़ी कार्रवाई भइल।
ब्लैकआउट के चलते रात में गाड़ी चलावे में दुर्घटना बढ़ गइल, जेकरा चलते कुछ नियम में ढील दिहल गइल। अपराध भी बढ़ गइल, काहेकि अंधेरा में चोरी, डकैती आ अन्य अपराध आसान हो गइल।
सितंबर 1944 में, जब जर्मनी के ताकत कम होखे लागल, त "डिम-आउट" लागू भइल, जेकरा तहत चाँदनी के बराबर रोशनी के अनुमति दिहल गइल। अप्रैल 1945 में, ब्लैकआउट पूरी तरह से खत्म भइल, और 30 अप्रैल के, जब हिटलर आत्महत्या कइलस, त बिग बेन के रोशनी फिर से जलावल गइल। संयुक्त राज्य अमेरिका
पर्ल हार्बर पर हमला के बाद, अमेरिका के मुख्य भूमि पर भी ब्लैकआउट लागू भइल। अटलांटिक तट पर, रोशनी के चलते जहाज दुश्मन के सबमरीन के नजर में आ जात रहे, जेकरा चलते भारी नुकसान भइल। हालांकि, कुछ तटीय शहर ब्लैकआउट के विरोध कइलें, जेकरा चलते "सेकंड हैप्पी टाइम" कहाइल, जब जर्मन सबमरीन अमेरिकी जहाजन के भारी नुकसान पहुँचवलस।
ब्लैकआउट के तकनीक
[संपादन करीं]ब्लैकआउट लागू करे खातिर, खिड़की पर भारी पर्दा या पेंट लगावल जात रहे, ताकि रोशनी बाहर ना जाए। कुछ शहरन में, ब्लैकआउट ड्रिल भी करावल जात रहे, जेकरा तहत लोगन के बिजली, गैस बंद करे, पर्दा लगावे आ शरणस्थल में जाए के अभ्यास करावल जात रहे।
आधुनिक तकनीक आ ब्लैकआउट
[संपादन करीं]आज के समय में, उन्नत तकनीक के चलते ब्लैकआउट के प्रभाव कम हो गइल बा। दुश्मन के हवाई जहाज अब रेडियो बीम, रडार, नाइट विजन गॉगल्स आ सैटेलाइट के मदद से लक्ष्य खोज सकेला। तब्बो पर, 1991 के खाड़ी युद्ध में, बगदाद में ब्लैकआउट आ अन्य नागरिक सुरक्षा उपाय लागू भइल।