क़यामत
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इस्लाम में क़यामत के दिन (अरबी: یوم القيامة, romanized: Yawm al-qiyāmah, lit. 'Day of Resurrection' ऊ दिन ह जहिया सगरी 'मुर्दा लोग अपना कब्र से उठ खड़ा होखी' आ 'सगरी लोगन' के 'पुकारल जाई', धरती पर ओह लोगन के कइल गइल काम के 'हिसाब खातिर'। ई इस्लाम के तहत कुरआन के सभसे 'मजबूती से हावी' बिचार सभ में गिनल जाला। ईमान के छव गो आधार में से एगो इहो आधारभूत चीज ह। लगभग सगरो मुसलमान लोग एह कांसेप्ट में बिस्वास करे ला आ ई 'आख़िरश' भा 'दुनिया के अंत' के ज्ञान (eschatology)[1] के बूझे खातिर दोबारा उठ खड़ा होखे आ न्याय होखे के कांसेप्ट बूझल जरूरी चीज ह।[2][3]
इब्राहिमी धरम सभ में, मुर्दा से दोबारा उठ खड़ा होखे के कांसेप्ट रिसरेक्शन (resurrection) के रूप में जानल जाला; इस्लाम में एकरा के 'न्याय के दिन' (Day of Judgement) के रूप में देखल जाला।
संदर्भ
[संपादन करीं]- ↑ Siddiqui, Abdur Rashid (25 November 2014). "Akhirah (The Hereafter)". Alukah. Retrieved 16 April 2022.
- ↑ Smith & Haddad, Islamic Understanding, 1981: p.63
- ↑ Smith & Haddad, Islamic Understanding, 1981: p.64