आरक्षण

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आरक्षण भारत में संबिधान द्वारा अस्थापित बेवस्था हवे जेकरा के समाज के शोषित आ बंचित बर्ग के लोग के मुख्य धारा में जोड़ के,[1] असमानता के खतम करे के उपाय के रूप में अपनावल गइल हवे; एकरे तहत भारतीय संसद बिधि (कानून) बना के अइसन इंतजाम कइले बा कि बिधायिका में, सरकारी नोकरी में आ उच्चशिक्षा में एडमीशन खातिर समाज के कुछ चिन्हित वर्ग के लोग के खाती सीट के कुछ प्रतिशत आरक्षित (रिजर्व) कइल जाला। संबिधान के तहत ई सामयिक बेवस्था रहल जे बाद में आगे बढ़ावत जात रहल आइल बा आ संबिधान के अनुसूची में बर्णित अनुसूचित जाति आ अनुसूचित जनजाति के लोग आ कुछ अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग के एकरे लाभ के दायरा में रखल गइल बा।

आम नियम ई हवे कि सरकार 50 परसेंट से बेसी आरक्षण ना दे सके ले।

सभसे पहिला आरक्षण बेवस्था के उदाहरण आजादी से पहिलहीं, 1902 में कोल्हापुर रियासत के द्वारा पिछड़ा लोग के पचास प्रतिशत आरक्षण देवे के सरकारी फरमान के रूप में मिले ला।[2] आजादी के बाद संबिधान निर्माण के दौरान अनुसूचित जाति आ जनजाति खाती ई बेवस्था कइल गइल। एकरे बाद मंडल कमीशन के सुझाव के लागू करि के अन्य पिछड़ा लोग के भी एकरे दायरा में लिहल गइल।[3] हाल में, जनवरी 2019 में भारत सरकार द्वारा संसद में आर्थिक आधार पर बंचित लोग के 10 परसेंट के आरक्षण के इंतजाम के पास करवावल गइल बा।[4]

संदर्भ[संपादन करीं]

  1. Jayakumāra Miśra; Jayakumar & Akhileshwar Shukla (September 2010). Bharat Ka Sanvidhan: Ek Punadrishti. Gyan Publishing House. pp. 345–. ISBN 978-81-7835-789-8.
  2. Vijaya Kumāra Triśaraṇa (2009). Chatrapati Śāhujī Mahārāja. Gautam Book Center. pp. 13–. ISBN 978-81-87733-90-4.
  3. "भारत में आरक्षण से जुड़े 5 ख़ास सवाल". BBC News हिंदी (हिंदी में). बीबीसी. 18 मार्च 2015. Retrieved 16 जनवरी 2019.
  4. हिंदी, टीम बीबीसी (16 जनवरी 2019). "आरक्षण: निजी शिक्षा संस्थानों में कैसे लागू करेगी सरकार?". बीबीसी हिंदी डाट काम (हिंदी में). बीबीसी. Retrieved 16 जनवरी 2019.